आँखें
"आँखें"
मन का दर्पण होती हैं ये आँखें
खुशी और गम दोनों में
छलकती हैं ये आँखें...
मन के भावों को खामोशी से
बयां करती हैं ये आँखें
आयना मन का होती हैं ये आँखें...
बिन कुछ कहे बहुत कुछ
कह जाती हैं ये आँखें
दुनियां के हर रंग रूप से वाकिफ
कराती हैं ये आँखें...
मन तक हर बात को सहजता से
पहुंचाती हैं ये आँखें
अच्छे और बुरे के भेद को
बताती हैं ये आँखें...
बहुत कुछ सोचने पर मजबूर
कर जाती हैं ये आँखें
भावों को शब्दों में बदलने का
हुनर भी रखती हैं ये आँखें...
जागते हुए भी ख्वाब
दिखाती हैं ये आँखें
जिंदगी को खूबसूरत
बनाती है ये आँखें...
कुदरत का अनमोल तोहफा
होती हैं ये आँखें
अंधेरों को रौशनी से
भरती हैं ये आँखें
रात में इक दिया जैसे
होती हैं ये आँखें...
लेकिन ये सच है कि हम इनसे
क्या देखना चाहते हैं
जिंदगी को खूबसूरत या
जहन्नुम बनाते हैं...
सही और गलत के भेद को
क्या स्पष्ट कर पाते हैं
या गिराकर पर्दा इन आँखों पर
अनभिज्ञ बन जाते हैं...!!
कविता गौतम...✍️
#हिंदी दिवस प्रतियोगिता।
Shashank मणि Yadava 'सनम'
25-Sep-2022 07:08 PM
बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ
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आँचल सोनी 'हिया'
24-Sep-2022 12:03 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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Kavita Gautam
21-Sep-2022 01:34 PM
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏
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