Sunita gupta

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श्लोक

#हिन्दी_अर्थ : मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य है. मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र परिश्रम होता है क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी दुखी नहीं रहता.

🌾#संस्कृत_श्लोक 15: यथा ह्येकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत् !
एवं परुषकारेण विना दैवं न सिद्ध्यति !!

#हिन्दी_अर्थ : जिस तरह बिना एक पहिये के रथ नहीं चल सकता ठीक उसी तरह से बिना पुरुषार्थ किये किसी का भाग्य सिद्ध नहीं हो सकता.

🌸संस्कृत श्लोक 16: बलवानप्यशक्तोऽसौ धनवानपि निर्धनः !
श्रुतवानपि मूर्खो सौ यो धर्मविमुखो जनः !!

हिन्दी अर्थ : जो व्यक्ति अपने कर्तव्य से विमुख हो जाता है वह व्यक्ति बलवान होने पर भी असमर्थ, धनवान होने पर भी निर्धन व ज्ञानी होने पर भी मुर्ख होता है.

🍂संस्कृत श्लोक 17: जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं !
मानोन्नतिं दिशति पापमपा करोति !!

हिन्दी अर्थ : अच्छे दोस्तों का साथ बुद्धि की जटिलता को हर लेता है, हमारी बोली सचबोलने लगती है, इससे मान और उन्नति बढती है और पाप मिट जाते है.

🌴संस्कृत श्लोक 18: चन्दनं शीतलं लोके,चन्दनादपि चन्द्रमाः !
चन्द्रचन्दनयोर्मध्ये शीतला साधुसंगतिः !!

हिन्दी अर्थ : इस दुनिया में चन्दन को सबसे अधिक शीतल माना जाता है पर चन्द्रमा चन्दन से भी शीतल होती है लेकिन एक अच्छे दोस्त चन्द्रमा और चन्दन से शीतल होते है.

🌼संस्कृत श्लोक 19: अयं निजः परो वेति गणना लघु चेतसाम् !
उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् !!

हिन्दी अर्थ : यह मेरा है और यह तेरा है, ऐसी सोच छोटे विचारो वाले लोगो की होती है. इसके विपरीत उदार रहने वाले व्यक्ति के लिए यह पूरी धरती एक परिवार की तरह होता है.

🌳संस्कृत श्लोक 20: पुस्तकस्था तु या विद्या, परहस्तगतं च धनम् !
कार्यकाले समुत्तपन्ने न सा विद्या न तद् धनम् !!

हिन्दी अर्थ : किताब में रखी विद्या व दूसरे के हाथो में गया हुआ धन कभी भी जरुरत के समय काम नहीं आते.

🍒संस्कृत श्लोक 21: विद्या मित्रं प्रवासेषु, भार्या मित्रं गृहेषु च !
व्याधितस्यौषधं मित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्य च !!

हिन्दी अर्थ : विद्या की यात्रा, पत्नी का घर, रोगी का औषधि व मृतक का धर्म सबसे बड़ा मित्र होता है.

🌿संस्कृत श्लोक 22: सहसा विदधीत न क्रियामविवेकः परमापदां पदम् !
वृणते हि विमृश्यकारिणं गुणलुब्धाः स्वयमेव संपदः !!

हिन्दी अर्थ : बिना सोचे – समझे आवेश में कोई काम नहीं करना चाहिए क्योंकि विवेक में न रहना सबसे बड़ा दुर्भाग्य है. वही जो व्यक्ति सोच – समझ कर कार्य करता है माँ लक्ष्मी उसी का चुनाव खुद करती है.

🌺संस्कृत श्लोक 23: उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः !
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः !!

हिन्दी अर्थ : दुनिया में कोई भी काम सिर्फ सोचने से पूरा नहीं होता बल्कि कठिन परिश्रम से पूरा होता है. कभी भी सोते हुए शेर के मुँह में हिरण खुद नहीं आता.

🍄संस्कृत श्लोक 24: विद्यां ददाति विनयं विनयाद् याति पात्रताम् !
पात्रत्वात् धनमाप्नोति धनात् धर्मं ततः सुखम् !!

हिन्दी अर्थ : विद्या हमें विनम्रता प्रदान करती है, विनम्रता से योग्यता आती है व योग्यता से हमें धन प्राप्त होता है और इस धन से हम धर्म के कार्य करते है और सुखी रहते है.

🌱संस्कृत श्लोक 25: माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः !
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा !!

हिन्दी अर्थ : जो माता – पिता अपने बच्चो को पढ़ाते नहीं है ऐसे माँ – बाप बच्चो के शत्रु के समान है. विद्वानों की सभा में अनपढ़ व्यक्ति कभी सम्मान नहीं पा सकता वह वहां हंसो के बीच एक बगुले की तरह होता है.

💐संस्कृत श्लोक 26: सुखार्थिनः कुतोविद्या नास्ति विद्यार्थिनः सुखम् !
सुखार्थी वा त्यजेद् विद्यां विद्यार्थी वा त्यजेत् सुखम् !!

हिन्दी अर्थ : सुख चाहने वाले को विद्या नहीं मिल सकती है वही विद्यार्थी को सुख नहीं मिल सकता. इसलिए सुख चाहने वालो को विद्या का और विद्या चाहने वालो को सुख का त्याग कर देना चाहिए.||

सुनीता गुप्ता कानपुर उत्तर प्रदेश 

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6 Comments

Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 12:32 PM

Bahut khoob 💐👍

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Achha likha hai 💐

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Swati chourasia

20-Sep-2022 04:54 PM

Very beautiful

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