Kavita Jha

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आत्महत्या एक डरावनी प्रेम कहानी # लेखनी धारावाहिक प्रतियोगिता -09-Sep-2022

भाग-7
दीपा की आत्मा ने उस छोटी सी मछली जो कि शादी के बाद की एक रस्म के लिए लाई गई थी , में घुसकर साधना के ससुराल वालों को डराने और उसे मारने की कोशिश कर रही थी । लेकिन वो अपने मकसद में नाकामयाब रही। साधना ने अपनी माँ के दिए उस हींग राय से जो उसे बुरी नज़र से बचाने के लिए उसके गले में डाला था, उसे अस्त्र के रूप में प्रयोग कर उस भयावह मछली का खात्मा कर दिया ।
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शीला देवी को इमरजेंसी वार्ड में रखा गया था। डॉक्टर ने बताया इनका बी पी अचानक लो हो गया है, शायद ज्यादा थकान के कारण। घबराने की बात नहीं है शादी विवाह के घर में अक्सर ऐसा हो जाता है।

डॉक्टर ने सिद्धार्थ को दुल्हे की वेशभूषा में देखा तो  समझ गए थे कि यह केस शादी के घर का है।

 अचानक हुए उस भयावह घटना के कारण किसी को यह ध्यान ही नहीं रहा कि किसने क्या पहना हुआ है। सिद्धार्थ के पास तो कपड़े बदलने का समय ही नहीं मिल पाया था।

" डॉक्टर अंकल, माँ दिन भर बिना खाए पीए मेरे छोटे भाई की शादी की तैयारी में जुटी रही और हम भी उसका ध्यान नहीं रख पाए।" गोविन्द ने कहा।

मछली वाली बात किसी ने डॉक्टर को नहीं बताई, क्योंकि वो घटना किसी को विश्वसनिय नहीं लग रही थी।सभी को यही लग रहा था कि यह महज अधिक थकान के कारण उनका वहम ही रहा होगा।
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सुबह के पाँच बज रहे थे। साधना को ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी हॉरर स्टोरी की एक किरदार है। वैसे भी बचपन से ही वो अपनी काल्पनिक कहानियों की दुनिया में ही रहती थी। उसे कहानियाँ पढ़ना बहुत पसंद था।

उसे अपना जीवन भी एक कहानी की तरह ही लग रहा था।एक अधूरी प्रेम कहानी बनकर रह गई थी वो।

 अब सावन ना जाने कहाँ किस हाल में होगा , उसकी चिन्ता सता रही थी। 

भाई ने उसे खूब पीटा था जब हम दोनों को साथ देखा था। मुझसे प्यार करने की इतनी बड़ी सजा उसे मिलेगी यह तो ना कभी मैंने सोचा था और उसने भी नहीं सोचा होगा। 

मुझे उसे भूलना होगा पर यह मेरे लिए संभव भी तो नहीं,उसकी यादों को शायद ही कभी भूल पाऊं।वो अधूरी कहानी कभी पूरी नहीं होगी।
वाशरूम में ब्रश करते हुए साधना खुद को समझा रही थी। 

अब यह नया परिवार ही उसका सब कुछ है। 

" भाभी जल्दी से तैयार होकर आईए।" साधना की छोटी ननद उसे बुला रही थी।

थोड़ी ही देर बाद ...
साधना किचन में खाना बनाने में लग गई। अभी तो कुछ घंटे ही हुए थे उसे इस नए घर में आए और शादी की रस्में भी पूरी कहाँ हो पाईं थीं। शादी में आए सभी रिश्तेदार करीब चार पांच दिन तो रुकेंगे ही। चार दिन बाद लड़के वालों की तरफ से रिसेप्शन पार्टी का आयोजन तय हुआ था, जिसमें साधना के माता पिता को भी निमंत्रित किया गया था।

इधर विदाई के बाद साधना की माँ को जब सावन जो कि उसी की बड़ी बहन की बड़ी बेटी का छोटा बेटा था, कि मौत की खबर मिली उसने उसी रात अपने कलाई की नस काट ली जब साधना शादी के मंडप पर सिद्धार्थ के साथ फेरे ले रही थी।
उन्हें गहरा सदमा पहुंचा और वो बेहोश हो गई। 

साधना ने अपनी माँ को बताया था कि उसे सावन और अपने रिश्ते का पता नहीं था जब वो उससे मिली थी । दोनों अनजान थे इस बात से कि संबंध में साधना सावन की मौसी लगेगी। वो एक दूसरे से प्यार करते थे और शादी करना चाहते थे। 

"हमारे हिन्दू समाज में ऐसा हुआ है क्या आज तक। उसकी माँ तेरी बहन है, भले उसने उसे जन्म नहीं दिया है पर पाला तो है।"

,, वर्षों से छिपी बात भी उजागर हो गई थी उस दिन जब कमला जी ( साधना की माँ), ने बताया था कि सावन तो उसकी बहन की बेटी सुनीता के यहाँ काम करने वाली का बेटा था । जिसकी मौत प्रसव पीड़ा के असहनीय दर्द को सहते हुए अपने बच्चे को जन्म देने के बाद हो गई।
 अपने बच्चे की तरह ही पाला था सुनीता और शेखर ने उसे। कभी कोई जान ही नहीं पाया था कि सावन उनका अपना बच्चा नहीं है।

इधर सास उसे देखे बिना ही बेहोश हो गई और हॉस्पिटल में एडमिट थी उधर माँ बेहोश थी।

पिता उससे मिलने आए थे अपने पोते पोतियों के साथ। उन्होंने तो मां की तबियत के बारे में कुछ नहीं बताया पर भतीजे भतीजी ने  बता दिया पर सावन के आत्महत्या और उसकी मौत की बात तो बच्चे भी नहीं जानते थे।
वो तो सिर्फ इतना जानते थे कि दादी के कान में बड़ी दादी ने कुछ कहा और उनकी साँस बहुत तेज चलने लगी फिर वो बेहोश हो गई। बच्चों ने यह भी बताया कि,
" दो दिन बाद ही वो दिल्ली वापस जा रहें हैं। वहीं दादी का ईलाज करवाएंगे, यहाँ का तो कुछ पता नहीं है, कौन से हॉस्पिटल में ले जाएं, ऐसा पापा और बाबा बोले रहे थे। बुआ आप भी हमारे साथ चलो दिल्ली अपने घर।"

ये क्या हो रहा था... साधना कुछ समझ ही नहीं पा रही थी, वो तुरंत अपनी माँ के पास जाना चाहती थी पर यहाँ सास भी तो हॉस्पिटल में हैं।

हाथों की मेंहदी का काला रंग उसे अखर रहा था, पति को चार दिन बाद ही देख पाएगी यह उसकी मामी सांस ने बताया कि पंडित जी बोल रहें हैं कि शादी का मुहूर्त सही नहीं था तो कुछ पूजा पाठ करवाने के बाद पुनः विवाह की सभी रस्में पूरी की जाएंगी।
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दीपा की आत्मा जो कि बुरी नजर से बचाने वाली सुई की चुभन से तड़प रही थी और हींग लहसुन की गंध से परेशान हो रही थी,बदले की भावना उसमें तीव्र रूप से बढ़ती जा रही थी।

इसने मेरे साथ पंगा लिया है, दीपा को नहीं जानती है ये। छोडूंगी नहीं मैं इसे। इसका जीवन नर्क नहीं बना दिया तो मेरा नाम भी दीपा नहीं। मेरे सिद्धार्थ को इसका कभी नहीं होने दूंगी। सुहागरात तो कभी मना ही नहीं पाएगी यह । 

सिद्धार्थ आज भी मुझसे प्यार करता है ना कि इस बदसूरत से। मेरे जैसी स्मार्ट और खूबसूरत लड़की को छोड़कर सिद्धार्थ ने इससे शादी कैसे कर ली?

दुनिया की नजर में चाहे ये दोनों पति पत्नी बन गए पर इनके बीच पति पत्नी वाला रिश्ता मैं कभी नहीं बनने दूंगी।

घर के एक कोने में दीपा की आत्मा खुद से ही बातें कर रही थी और क्या योजना बना रही थी साधना को सिद्धार्थ से दूर करने की?
जानने के लिए जुड़े रहिए इस डरावनी प्रेम कहानी आत्महत्या से।
क्रमश:

आपको यह कहानी पसंद आ रही है यह जानकर खुशी हुई। 
इस कहानी से जुड़े रहने के लिए मेरे प्रिय पाठकों का तहे दिल से शुक्रिया। आप इसी तरह कहानी से जुड़े रहिए और अपनी समीक्षा के जरिए बताते रहिए कि आपको कहानी का यह भाग कैसा लगा।
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कविता झा'काव्या कवि'
#लेखनी धारावाहिक प्रतियोगिता
20.09.2022 

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9 Comments

Mithi . S

24-Sep-2022 10:38 AM

बेहतरीन रचना

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Gunjan Kamal

23-Sep-2022 08:40 AM

बेहतरीन भाग

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Pallavi

22-Sep-2022 09:20 PM

Nice post 👍

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