लेखनी कहानी -20-Sep-2022 भाग १ मां बाप का दिल भाग २

श्राद्ध और तर्पण

पितर पक्ष और तर्पण को साल में आता है एक पाख,
खुश होते पक्षियों में कागा पशुओं में गाय और काक।

जंगल में कांस फूलते और वामन उछलते नौ नौ बांस,
आस आशीष की करते श्राद्ध तर्पण को  दिन ये खास।

पितरों का तर्पण और श्राद्ध को पूज रहे पशु व पक्षी,
दया दान का मूल धर्म है बुद्धि प्रवृत्ति हो जाती अच्छी।

मात पिता और दादा दादी पूर्वज सब नहीं खाने आते,
पर निज संतति को धर्म कर्म करते देख सुख सरसाते।

फल-फूल और स्वादिष्ट व्यंजन भांति भांति के पकाते,
ब्रहम भोज करा तर्पण करते तृप्ति की उम्मीद लगाते।

आश्विन कृष्ण पक्ष में मात पिता को तर्पण व समर्पण,
जीते जी रखा वृद्धाश्रम में तोड़ दिया उनका तन-मन।

पितृपक्ष में दान पुण्य कर शुद्ध हृदय से स्मरण करना,
पर जब तक जिंदा है सशरीर वह उनको तृप्त रखना।

जीते जी उन्हें तृप्त रखो तो खुशी खुशी विदा ले जाएंगे
तृप्तात्मा उनकी सदा 'अलका' पर शुभाशीष बरसाएंगे।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
 लखनऊ उत्तर प्रदेश।
 स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
 @सर्वाधिकार सुरक्षित।

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7 Comments

Pratikhya Priyadarshini

22-Sep-2022 12:07 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Abhinav ji

21-Sep-2022 08:06 AM

Very nice👍

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Achha likha hai 💐

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