लेखनी दैनिक प्रतियोगिता कहानी -20-Sep-2022 एक अजीब सपना पर अलौकिक

एक अजीब  सपना 

अभी चार-पांच दिन पहले... हमारे यहां बहुत ज्यादा बारिश हुई। दिन और रात 24 घंटे मूसलाधार बारिश। बारिश इतनी.... कि सभी परेशान हो चुके थे। लाइट का अता-पता नहीं था। पानी छत से नीचे आने लगा था। 
सारी रात जागने के बाद जब भोर में 4:00 बजे लाइट आई,तो सभी लोग पूरी रात परेशान थे, और जाग रहे थे। लाइट आते ही.... घर के सभी लोग पंखा चला कर... जो लेटे....तो गहरी नींद में सो गए।
रात में जो आंधी और पानी सचमुच में चल रहा था। नींद आते ही वह सपने में चलने लगा।  चूंकि मेरे घर में आम के चार पेड़ हैं, और उनमें हर सीजन में खाने भर आम निकल आते हैं।
अचानक सपने में मैंने देखा कि मेरे घर केआम के पेड़  पर से एक बहुत बड़ा गुच्छा .... जिसमें कम से कम १०० आम होंगे, पेड़ से गिरा। मैंने वह गुच्छा देखकर आश्चर्यचकित होकर अपने पति को बुलाया और कहा..... देखो देखो.... कि....कितना बड़ा गुच्छा। इतना तो कभी भी आम के पेड़ पर नहीं लगा। यह देखो कितना बड़ा आम का गुच्छा है। 

यह कहते कहते .....जब तक मेरे पति वहां आए ...इतनी देर में तो करीब 5 मीटर लंबी एक डाली आमों से लदी पेड़ से नीचे गिरी। जिस पर अनगिनत आम लगे हुए थे। ऐसा मैंने कभी सचमुच में तो देखा ही नहीं था।एक डाली पर हजारों की संख्या में आम एकदम पूरी डाली गुछी हुई थी।

सपने में जिस तरह गुछी आमों की डाली  देखकर मैं और मेरे पति बहुत अचम्भित हुए, और हम दोनों ने बड़ी मुश्किल से उसे खिसकाया। मैं उस स्वप्न को पूर्णतया बयां करने में सक्षम नहीं हूं। लगभग ६०० से ८०० किलो आम उस डाली पर लगा था। गिनती करना संभव नहीं था।

ऐसा सपने देखते ही मेरी आंख तुरंत ही खुल गई। आंख खुलते ही तो सारे आम गायब हो गए थे,लेकिन वह दृश्य आज भी मेरी आंखों के सामने वैसे के वैसे ही है ।उस इतने सुंदर आमों की डाली का स्वप्न में देखने का क्या मतलब होगा। मैं समझ नहीं पा रही हूं। अनगिनत आमों से लदी उस डाली को देखकर मेरा मन आज भी चाहता है।

 कि मैं उस तरह की कोई डाली सपने में देखूं। पर मुझे खुद भरोसा नहीं होता। समझ में नहीं आता कि उस सपने का क्या मतलब होगा। लेकिन वह सपना बहुत अजीब होते हुए भी बहुत ही सुहावना था। मन को मोह लेने वाला था। उसने मेरे मन को मोह लिया है। मेरे मन में उस सपने की छवि कभी भी मिट नहीं सकती हैं। मुझे वह डाली आज भी हूबहू वैसे के वैसे ही याद है। और मेरा मन चाहता है कि मैं सचमुच में उस तरह फलों से लदी डाली को देखूं।
 आजकल जैसे बर्थडे पार्टियों में बड़ी-बड़ी बॉल्स को इकठ्ठा करके जो गुच्छा बनाया जाता है, उस  आम के गुच्छे का स्वरूप कुछ उसी तरह से था। मैं उस स्वप्न का जितना वर्णन कर सकती थी, किया। बाकी वह अलौकिक स्वप्न अवर्णनीय है, जिसका एहसास  मैं कर सकी, पर वर्णन करना संभव नहीं।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी' 
लखनऊ उत्तर प्रदेश।
स्व रचित मौलिक व अप्रकाशित
@ सर्वाधिकार सुरक्षित।

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10 Comments

Mithi . S

24-Sep-2022 06:05 AM

Bahut khub

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Gunjan Kamal

23-Sep-2022 08:35 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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shweta soni

23-Sep-2022 08:31 AM

Bahut khub likha

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