Kavita Gautam

Add To collaction

जीवन के किनारे

"जीवन के किनारे"

जन्म और मृत्यु
जीवन के दो किनारे हैं
जन्म और मृत्यु रूपी
दो किनारों का मिलन
ही तो जीवन है

आए थे कब हम
ये हम सभी याद रखते हैं
मगर जाना भी है यहां से
ये अक्सर भूल जाते हैं

जो बीत जाएं वो पल
अक्सर हमको बहुत लुभाते हैं
आज में मगर कभी हम
खुश रह नहीं पाते हैं

जानते हैं हम सभी
कि जीवन का कोई भी दौर
ना आएगा लौट कर कभी
फिर भी न जानें क्यूं
इस पल में कभी जी न पाते हैं

चार अच्छाइयों को भुलाकर
दो बुराइयों को दिल से लगाते हैं
हैरानी इस बात की है कि
खुद भी न हम कभी सही बन पाते हैं

समझाते सभी हैं एक दूजे को
मगर खुद कभी न समझ पाते हैं
उसने क्या किया, कैसे किया, क्यों किया
बस इसी उधेड़बुन में खोकर
जीवन का एक किनारा
पार कर जाते हैं

और जब पहुंचते हैं दूसरे किनारे तक
तो भूल कर सभी की भूलों को
सभी का साथ फिर से पाना चाहते हैं
क्यों हम अक्सर
दूसरे किनारे पर ही पहुंचकर
जीवन को समझ पाते हैं

सुना है कि
देर से आए मगर दुरुस्त आए
इतनी देर से भी मत आइए
कि जिंदगी एक दिन खत्म ही हो जाए
जीवन का वो आखिरी किनारा भी
यूं ही बस सोचते सोचते हाथ से निकल जाए

जीवन के उस आखिरी किनारे पर
जब हम पहुंचें तो हाथ भले ही खाली हों
मगर ह्रदय में कोई पछतावा न हो
न हो कोई आत्मग्लानि

तो क्यों न हम पहले ही
जीवन को समझ जाएं
और मुस्कुराते हुए दूसरे किनारे
को पार कर पाएं।।

कविता गौतम...✍️

#हिंदी दिवस प्रतियोगिता।

   12
6 Comments

Kavita Gautam

21-Sep-2022 01:16 PM

सुंदर समीक्षाओं हेतु आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏

Reply

बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ,, लाजवाब लाजवाब लाजवाब

Reply

Raziya bano

20-Sep-2022 09:13 PM

Nice

Reply