Madhu Arora

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ताना-बाना

ताना-बाना

जिंदगी का ताना बाना,
किसने बुना मैंने नहीं जाना।
अद्भुत सी है उसकी कारीगरी,
उस पर मिले तारीफ बड़ी।

ईश्वर ने कैसे इसको गढा,
रक्त मांस हड्डियों से जड़ा।
छोटे से बड़े होने की प्रक्रिया,
इस पर फिर जाने की क्रिया।

जीवन चक्र इसी को कहते,
कर्मों की सब व्यथा है सहते।
उलझे रहते दिन रात इसी में
परमात्मा का भजन ना करते।

माया में आकर फंस जाते,
सारा जीवन खूब कमाते ।
अंत समय कुछ ले ना जाते,
बस अहम में उलझे रहते हैं।

अजब देखो बड़ा तमाशा,
छोटी सी इसकी है भाषा।
आया है जग से जाएगा,
कर्म उत्तम कर जाएगा।

कर्मों से सारा संसार चला,
उत्तम कर्मों से नाम चला।
अमर वही होते हैं जग में,
जो कुछ कर जाते जग में।

     रचनाकार ✍️
     मधु अरोरा
     20.9.2022

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8 Comments

Suryansh

29-Sep-2022 06:45 AM

लाजवाब लाजवाब

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Gunjan Kamal

22-Sep-2022 02:44 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ,,,,, गढ़ा होगा जी

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