Madhu Arora

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ओझल

जो अपने थे ओझल हो गए।
     छोड़ हमें जाने कहांँ खो गए ,
     याद उनकी आती है।
      दिल को बहुत सताती है,
      पर नहीं आए वह लौटकर,
      गुम हो गए जाने कहांँ ।
      जो अपने थे ओझल हो गए ,
      छोड़ हमें जाने कहांँ खो गए ।
      सृष्टि का नियम पुराना,
      आया है उसको है जाना ,
       कुछ हमें पाठ सुंदर पढा गए।
       जीवन पथ पर चलना सिखा गए ।
       कुछ नया कुछ पुराना मिल ,
       जीवन सुखद बनाना सीखा गए।
       जो अपने थे ओझल हो गए ,
       छोड़ हमें जाने कहां खो गए ।
       आंखों की कोर में आंसू छोड़ गए,
        मन बोझिल हो उठा ,
        यादें भी फिर ठहर गई ।
        हर लम्हा टूटती हूं जुड़ती हूं,
       जो छोड़ गए उन्हें याद में 
       हरपल करती हूं।
       जो अपने थे ओझल हो गए
       छोड़ हमें जाने कहां खो गए।।
                        रचनाकार ✍️
                         मधु अरोरा
                     20.9.2022
     

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7 Comments

Palak chopra

29-Sep-2022 08:21 PM

Bahut khoob 💐🙏🌺

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Raziya bano

29-Sep-2022 08:20 PM

Nice

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Gunjan Kamal

29-Sep-2022 10:07 AM

शानदार

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