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लेखनी प्रतियोगिता -22-Sep-2022दंगे की‌भेंट चढ़ा परिवार

सुनीता घर में दाखिल होती है एक सन्नाटा पसरा हुआ था जो मानो उसके कदम घर के बाहर ही रोक लेना चाहता है लेकिन दिनभर की थकान और भूख से व्याकुल सुनीता अनमने मन से दरवाजे को खोलती कमरे में आकर बैठ जाती है। कितना खुश थी वो अपने सुखी संसार में वो और उसका बेटा  यही दोनों तो थे।एक दुसरे का सहारा उसके जीवन के उतार चढ़ाव में उसका बेटा ही तो था जिसके लिए उसने जिंदगी की हर जंग को स्वीकार किया और आज.......

वो बेटा भी काल का ग्रास बन गया आखिर कब तक आंसू बहाती । आंसूओं ने भी साथ छोड़ दिया।वो बैठी अतीत की यादों में खो जाती है । जैसे कल की ही बात हो राहुल चहकते हुए घर आता है और बताता है ।आज उसका और उसके मां का सपना पूरा हो गया। उसको मेडिकल कॉलेज में प्रवेश गया है। मेडिकल की पढ़ाई कब पूरी हो गई दोनों को पता भी नहीं चला।आज कालेज का आखिरी दिन वो लौट कर आने वाला था और भविष्य के सपने संजोए हुए गुनगुना रहा था । तभी कुछ शोर सुनाई पड़ता है शहर में दंगा हो गया। और हजारों की तादाद में सार्वजनिक वाहनों को दंगाइयों ने स्वाहा कर दिया। आखिर वक्त था जब सुनीता की बात राहुल से हो रही थी जो भीड़ के शोर में कहीं गुम हो गई थी। 
    आज उसका परिवार उन दंगाइयों की भेंट चढ़ गया था।आज वो एक प्रमुख सामाजि
     स्वरचित एवं मौलिक रचना

     अनुराधा प्रियदर्शिनी
    प्रयागराज उत्तर प्रदेश

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7 Comments

Barsha🖤👑

24-Sep-2022 10:02 PM

Nice 👍

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Seema Priyadarshini sahay

24-Sep-2022 06:46 PM

बेहतरीन रचना

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Mithi . S

24-Sep-2022 05:57 AM

Very nice

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