Sunita gupta

Add To collaction

खुशहाली

खुशहाली
////////////////
ढाई साल   के  अंधकार से,
आयी  छनकर  एक दीवाली।
बच्चों  के उत्साह में सामिल,
प्रिया विहीन छाई खुशहाली।।

रोम   रोम  में  बसी  अनुकृति,
हरदम रहती  मन  पर  छायी।
भूत  भविष्यत्  के  अन्तर में,
वर्तमान    को    जीतें   भाई।।

है  प्रकाश की पहुंच कहाँ तक,
उस  तक संदेश पहुंचता क्या।
बहते   पानी  सा  जीवन  रथ,
कोई नयी कहानी कहता क्या।।
सुनीता गुप्ता कानपुर

   16
8 Comments

Pratikhya Priyadarshini

25-Sep-2022 12:41 AM

Bahut khoob 💐👍

Reply

Raziya bano

23-Sep-2022 07:31 PM

Nice

Reply

Swati chourasia

23-Sep-2022 04:12 PM

बहुत खूब 👌

Reply