तुम्हारे लिए
#तुम्हारे_लिए
ओ प्रिय!
तुम्हारे लिए........
तुम्हारे लिए
यह सब कुछ......
भाव..... लय.....
छंद......गीत.....
शब्दों का .......
मधुर संगीत.......
सिर्फ़ तुम्हारे लिए......
तुम्हारे लिए
मैं गढ़ता हूं.....
नये छंद.....
लिखता हूं......
नये - नये गीत.......
मेरी लेखनी में.....
मेरे शब्दों में......
उन शब्दों के अर्थ में......
और
अर्थ की सीमा
से भी परे
बस, इक
तुम्हारी ही छवि
निरंतर मुझको
आकर्षित करती है कि,
लिखूं मैं
नये - नये गीत
सिर्फ़ तुम्हारे लिए.......
ओ प्रिय!
चाहता हूं.......
आबद्ध कर लूं.......
तुम्हें.....
और ख़ुद को
प्रीत पाश में.....
जिसमें हो
आसमानी ऊंचाई.......
और
धरती की सहनशीलता......
जो,सह सके
और कह सके
प्रेम की तीव्रता
और प्रेम की मधुरता.......
दोनों.......
ये प्रेमिल आज.......
और कल - कल
मधुर अतीत.......
सिर्फ़ तुम्हारे लिए.......
बोलो!
क्यूं मौन हो तुम......
यह चाहत तो तुम्हीं ने..
जगा दी है मेरे अंदर..
कि, तब से
बाहर - भीतर
एक चमत्कृत-सा प्रकाश
पाता हूं अपने!
मैं जानता हूं........
तुम!
हो एक जादूगर.......
जिसने अपनी मुट्ठी में
मेरे लिए.......
ढेर सारे चमत्कार
छिपा रखे हैं.....
और जो,
रोज़ एक चमत्कार दिखाकर
मेरी आंखों की नमी को
चुराया करती है चुपचाप........
तुम्हारी यही
मूक पुकार.......
निरंतर करती है
मुझको आकर्षित......
कि,लिखूं मैं........
नये - नये गीत
सिर्फ़ तुम्हारे लिए..........
सुनीता गुप्ता कानपुर
Raziya bano
23-Sep-2022 07:28 PM
Nice
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Swati chourasia
23-Sep-2022 04:15 PM
बहुत खूब
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आँचल सोनी 'हिया'
23-Sep-2022 11:15 AM
Bahut khoob 💐👍
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