लेखनी प्रतियोगिता -23-Sep-2022
कभी रात को बारिश में
जब चांद निकल आता है
ये चंचल विरही मन मेरा
विद्रोही बन जाता है।
जी करता है जी भर रोऊँ
या तुमको पास बुला लूँ
या फिर इस सोई दुनिया को
पल भर में आग लगा दूं।
ये चांद सहन कैसे होगा
ये रात सहन कैसे होगी
इस वर्षा में मैं एकाकी
ये बात सहन कैसे होगी।
तुम तो थक कर सो जाते हो
मैं चांद से बातें करती हूँ
नींद तुम्हें आती है लेकिन
सपने मैं देखा करती हूँ।
आकाश ही है खत मेरा
ये चांद दस्तावेज है
खुशबू हवाओं की भरी
और चांदनी सन्देश है।
देनिक प्रतियोगिता
Shashank मणि Yadava 'सनम'
24-Sep-2022 08:10 AM
Wahhhh wahhhh बहुत ही खूबसूरत रचना
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Abhinav ji
24-Sep-2022 07:54 AM
Nice 👍
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Gunjan Kamal
23-Sep-2022 05:22 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 👌👌
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Anshumandwivedi426
23-Sep-2022 05:42 PM
सादर धन्यवाद आभार
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