shweta soni

Add To collaction

संकल्प

सुमन....ओ सुमन...! सुमन की मां उसे उसे आवाज़ देने लगी और उसे अपने साथ काम पर ले जाना चाहती थी । सुमन एक 12 वर्षीया बालिका है , जो अपनी मां के साथ एक छोटे से घर में रहती हैं और घर काम में अपनी मां का साथ देती हैं । साथ ही साथ अपनी पढ़ाई भी करती हैं । आज सुबह की बात है जब सुमन अपनी मां के साथ एक घर में अपनी मां का हाथ बंटाने गई थी । एक दो मंजिला इमारत जहां सुमन की मां काम करती है । सुमन की मां नीचे किचन में बर्तन साफ कर रही थी और सुमन ऊपर के कमरों में झाड़ू - पोंछा लगा रही थी । जिस वक्त सुमन  काम कर रही थी उसी वक्त उस घर के सुपुत्र ने (जिसकी उम्र बीस साल है) सुमन को ध्यान से देखा और उसे अपने पास बुलाया । सुमन ने सोचा शायद किसी काम के लिए भैया बुला रहे हैं । लेकिन उस घर के सुपुत्र ने सुमन को बातों में उलझाकर कमरें का दरवाज़ा बंद किया और उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा ।  जब सुमन ने उसका विरोध और अपने बचाव में उसने वहीं पास में रखें हुए एक वजनी चीज से उस लड़के पर हमला कर दिया और कमरे से गिरती - पड़ती नीचे उतरने लगी । नीचे आकर उसने उस लड़के की हरकत अपनी मां और उसके घरवालों को बताई ।  


लेकिन उस लड़के ने सुमन पर सामान चोरी करने का इल्ज़ाम लगा दिया और पुलिस में ले जाने की धमकी देने लगा ।  वो लड़का और उसके घर वालों ने मिलकर  उसे और उसकी मां को बेइज्जत कर के घर से निकाल दिया । सुमन सबको उस लड़के की सच्चाई बताई लेकिन कहते हैं ना  " गरीब का सच भी झूठ और अमीर का झूठ भी सच माना जाता है "  सुमन और उसकी मां के साथ भी यही हुआ । सुमन रोते हुए घर आ गई और सीधे कमरे में जाकर कर अंदर से दरवाजा बंद कर लिया । सुमन की मां घबरा गई , ये सोच कर की कहीं मेरी बेटी अपने आप के साथ कुछ कर ना ले ! इसलिए दरवाजा खटखटाते हुए सुमन को आवाज दे रही थी । लेकिन सुमन की कोई आवाज नहीं आई । कुछ देर बीते , तभी सुमन ने कमरे का दरवाजा खोला और बाहर आई ! वो अपनी स्कूल यूनिफॉर्म में थी । उसने अपनी मां को देखते हुए कहा - मां जब तक हम अनपढ़ रहेंगे हमारी जिंदगी ऐसे ही अपमानित होते हुए बीतेगी , ये अमीर जादे हमेशा बच जायेंगे और सजा हम गरीबों को ही मिलती है । इसलिए मां मैं अब मन लगाकर पढ़ूंगी अपने लिए ,  तेरे लिए और आने वाले कल के लिए मैं कुछ बन कर हम दोनों का सपना पूरा करूंगी " ये संकल्प है मेरा " । सुमन ने कहा और अपनी मां के पैर छूकर दृढ़ संकल्प के साथ अपने लक्ष्य की ओर कदम बढ़ाया ।‌

15 साल बाद सुमन की मेहनत रंग लाई और वो एक सरकारी स्कूल की अध्यापिका बन कर अपना और अपनी मां का संकल्प पूरा किया । 

समाप्त

   23
10 Comments

Bahut khoob 💐👍

Reply

Seema Priyadarshini sahay

25-Sep-2022 03:53 PM

बेहतरीन

Reply

Behtarin rachana

Reply