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लेखनी प्रतियोगिता -24-Sep-2022 भावों के मोती

भावों के मोती



भावों के मनकों को चुनकर

गीत मैंने  जो  भी  लिखे  हैं

शब्दों को माला में है पिरोया

सुन्दर हार फिर कुन्दन बना है


गीत सरिता भावों की बही है

मन को आल्हादित करने चली

रिश्तों की बगिया है सुरभित

प्रकृति मनोहर मुस्कान बिखेरे


पुष्प अर्पित करने को आतुर

मन की कलियाँ खिल उठी हैं

तुमको ही हर क्षण मैं पाऊँ

मेरे हृदय के हर कोने में तुम हो


एक पल भी मैं रह न  सकूंगी

जिस पल भी तुम मुझसे विलग

सांसों का जब मिलना होता है

तभी तो खिलता अपना चमन है


   स्वरचित एवं मौलिक रचना



       अनुराधा प्रियदर्शिनी

      प्रयागराज उत्तर प्रदेश


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6 Comments

Pratikhya Priyadarshini

27-Sep-2022 12:08 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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Raziya bano

25-Sep-2022 12:06 PM

Nice

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बहुत ही सुंदर सृजन और अभिव्यक्ति एकदम उत्कृष्ठ

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