Sunita gupta

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सरिता

सरिता हूँ बहिती जाती हूँ।
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सरिता हूँ बहिती जाती हूँ। 
मन ही मन में मुस्काती हूँ। 

उत्साहित होकर चलना है,
न जीवित होकर गलना है,
सबसे हर्षित हो मिलना है,
नारी का  सुन्दर गहना है, 

जीवन, पर्वत से प्रगट हुई, 
मंजिल को बढ़ती जाती हूँ। 
सरिता हूँ,,,,,,,,, 

चलती जाती हूँ उछल उछल,
कोई  न  समझता  मेरा बल,
तूफानों  को  उर  लिए साथ,
मैं निकल पड़ी लेकरके जल, 

चलना जीवन, विश्राम नही,
रूकना है मौत समझाती हूँ।
सरिता हूँ,,,,,,,,,,,, 

मैं  अपनी  राह  बनाती  हूँ ,
पत्थर  पत्थर   टकराती हूँ,
संघर्षो   से  सपने रच कर,
कांटों  पर  राह सजाती हूँ, 

खुश होकर चलना जीवन है,
खुश होकर चलती जाती हूँ।
सरिता हूँ,,,,, 

यह  जीवन यात्रा दुर्लभ है,
इसमें  पाना सब सुलभ है,
इस   जीवन  तरसे  है देव,
यह जीवन ही सुरदुर्लभ है। 

इसको पवित्र में कर देती,
पापों भी तारती जाती हूँ।
सरिता हूँ,,,,,,, 

मैं फसलो को लहराती हूँ,,
कृषकोंके दर्द सहलाती हूँ,
जो बसे किनारों ,पर रहते,
उनका सिंगार सजाती हूँ। 

जिनने अगनित दुख झेले है,
दुखियों के दुःख मिटाती हूँ।
सरिता हूँ,,,,,,,, 

मैं, गंगा ,यमुना  ,सरस्वती,
मेरे  तट  बसते  संत यती,
जो भी  आते  मेरे तट पर,
उनको मैं देती सहनशक्ति। 

उनकी जीवन सादा करती,
प्रभु पद से उन्हें मिलाती हूँ।
सरिता हूँ,,,,,,,, 

अपना भी लक्ष्य खुदमें पाती,
सागर मे चलकर मिलजाती,
सागर  मेरा  प्रियतम ,ईश्वर ,
उसमें ही शान्ती मैं हूँ पाती। 

मैं   बांध  अंधेरा  आंचल  में,
जगको जगमग कर जाती हूँ।
सरिता हूँ,,,,,,, 

सुनीता गुप्ता 'सरिता' कानपुर।

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6 Comments

Pratikhya Priyadarshini

26-Sep-2022 11:49 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Bahut khoob 💐👍

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Swati chourasia

26-Sep-2022 03:48 PM

बहुत ही खूबसूरत रचना 👌👌

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