Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -06-Sep-2022... रिश्तों की बदलतीं तस्वीर..(21)

अगले दिन सुनील सलोनी के उठने से पहले ही आफिस के लिए निकल गया...। 


दो दिन बाद ही सलोनी की सगाई थीं तो सुजाता भी काम में और सफाई में लगी हुई थीं...। सलोनी भी रात की सभी बातें भूलकर तैयारियों में लग गई थीं...। विनी भी सगाई तक रहने के लिए वहाँ आ गई थीं..। और वो भी पूरे हर्षोल्लास से तैयारियों में लग गए ई..। 

रात को सुनील जानबूझकर बहुत देर से आया....। ताकि सलोनी दादी को लेकर कोई सवाल जवाब ना करे...। सलोनी ने बहुत देर तक इंतजार किया पर सारा दिन काम के चलते वो थककर सो गई...। 

अगले दिन भी सुनील ने ऐसा ही किया.. .। 

सलोनी ने सुनील से फोन पर बात करने की जब जब कोशिश की तब तब विनी आकर उसे किसी ना किसी बात में उलझा लेती..। विनी ये सब जानबूझकर कर रहीं थीं...। 


आखिर कार वो दिन भी आया जिसके सपने हर लड़की देखती हैं...। 
विनी और उसके पेरेंट्स ने सगाई तक माहौल ही ऐसा बनाकर रखा की सलोनी की दादी से बात करने का मौका ही ना मिले..। 

सब कुछ उनके प्लान के मुताबिक ही हो रहा था...। जिसमें वो सफल भी हुवे...। सगाई का प्रोग्राम घर पर ही रखा था...। जिससे घर में सवेरे से रिश्तेदारों और पड़ौसियो का आना जाना शुरू हो गया था..। दोपहर तक रवि और उसके परिवार वाले भी आ गए थे..। 
उनकी खुब आवभगत की गई.. .। नाश्ते पानी के बाद शाम छह बजे सगाई की रस्म शुरू की गई...। उसके बाद खाने पीने का इंतजाम किया गया..। रवि ने रात के खाने के बाद तकरीबन नौ बजे सलोनी के साथ कुछ वक्त बिताने के लिए उसे बाहर ले जाने की इच्छा व्यक्त की...। इस पर दोनों परिवार वालों ने उन्हें रजामंदी दी...। 

रवि तो पहले ही सारा इंतजाम करके आया था..। इसलिए वो सलोनी को पहले से तय किए गए एक होटल में लेकर गया..। बातचीत और मस्ती मजाक के बाद रवि ने सलोनी के साथ फिर से प्यार भरे पल बिताए...। इस बार सलोनी ने कोई आपत्ति नहीं जताई... क्योंकि उसे इस बात का सुकून था की वो एक बंधन में बंध चुके हैं और उसे भी रवि से प्यार था..। 

तकरीबन एक डेढ़ घंटे बाद दोनों वापस आए...। रात ग्यारह बजे वो सभी वापस चल दिए..। 

सलोनी उस पूरी रात सो ही नहीं पाई...। वो बार बार बस उन पलो को याद कर रहीं थीं...। 

इंसान जब प्यार में होता हैं तो उसकी नींद... भूख.. प्यास.. सब खो जाती हैं...। सलोनी पर भी प्यार का नशा चढ़ चुका था...। हरपल मे वो बस रवि के साथ बिताए पलों के बारे में ही सोचती रहीं...। 


आखिर कार अब वो और रवि एक बंधन में भी बंध चुके थे...। जिससे सलोनी अपने आने वाले भविष्य को लेकर बहुत खुश थीं...। तीन महीने बाद उनकी शादी का भी मुहुर्त निकल चुका था...। 


सलोनी ने एक दो बार सुनील से दादी के बारे में पूछा था तब सुनील ने यह कहकर उसे मना लिया था की दादी वहाँ बहुत खुश हैं..। 


धीरे धीरे सलोनी भी अब रमादेवी से ज्यादा रवि के बारे में ज्यादा सोचने लगी थीं...। एक तरह से वो उस माहौल में ढल चुकी थीं जो उसके पेरेंट्स और विनी ने तैयार किया था...। 


क्या ये सलोनी की भूल थी..? 



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3 Comments

Khushbu

05-Oct-2022 02:59 PM

Nice

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Bahut khoob 💐👍

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Gunjan Kamal

26-Sep-2022 09:57 AM

Nice part 👌

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