इंतहान
इम्तिहान
हर कदम हम इंतहान देते रहे,
बचपन से जवानी यूं जीते रहे।
करते रहे बस औरों की कही,
जीने की इच्छाकहां दबी गई।
किसी ने पूछी नहीं मन की बात,
रंग,रूप की भाषा समझाते रहे।
लंबाई कम है कौन करेगा शादी,
अडचन लंबाई को बताते रहे।
रंग सावला है तुम्हारा जरा,
क्रीम पाउडर के नाम गिनाते रहे।
हल्दी ,चंदन ,दूध ,बेसन मिला
चेहरे पर हमारे लगाते रहे।
चश्मिश हो तुम तो यहांँ,
लेंस आंखों में हमारे लगाते रहे।
ढूंढते हमें अच्छाई नहीं,
मोटी कह कर हमें चिढ़ाते रहे।
गुजरती रही लड़कियां इस दौर से,
कसौटी पर लड़कों के कसती रही।
हां ना की उलझन में फंसी बहुत
सपनो को अपने कुचलती रही।
पंखे मेरे यू तुम ना काटते,
काश उड़ने को उन्मुक्त गगन देते।
पढ़ाई में पढ़कर नाम करते,
प्यार भरे फिर सपने चुनते।
नाज तुम्हें होता तब मुझ पर,
यू तुम रूप रंग में ना उलझते।
लायक हम खुद के लिए बनते ,
जीवन डगर आसान हम करते ।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
26.9.2022
नंदिता राय
01-Oct-2022 09:43 PM
Nice
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Palak chopra
29-Sep-2022 09:40 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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Raziya bano
29-Sep-2022 08:09 PM
Nice
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