Sunita gupta

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मां शैल पुत्री

.         नवरात्रि का पहला दिन माता का पहला स्वरूप

                              "माँ शैलपुत्री" 

         देवी शैल पुत्री का वर्णन हमें ब्रह्म पुराण में मिलता है। पुराण के अनुसार चैत्र प्रतिपदा के प्रथम सूर्योदय पर ब्रह्मा ने संसार की रचना की थी। माना जाता है कि इसी दिन श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था।
        नवरात्र की प्रथम देवी शैलुपुत्री मानव मन पर अपनी सत्ता रखती हैं। उनका चंद्रमा पर भी आधिपत्य माना जाता है। शैलपुत्री पार्वती का ही रूप हैं। पर्वतराज हिमालय के घर में जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।
        कथा है कि देवी पार्वती शिव से विवाह के पश्चात हर साल नौ दिन अपने मायके यानी पृथ्वी पर आती थीं। नवरात्र के पहले दिन पर्वतराज अपनी पुत्री का स्वागत करके उनकी पूजा करते थे, इसलिए नवरात्र के पहले दिन मां के शैलपुत्री रुप की पूजा की जाती है।
       श्वेतवर्ण शैलपुत्री के सर पर सोने के मुकुट में त्रिशूल सुशोभित है। इनके दाएं हाथ में त्रिशूल, बाएं हाथ में कमल सुशोभित है।
       मान्यता है कि शैलपुत्री की पूजा से व्यक्ति को सुख, सुविधा, माता, घर, संपत्ति, में लाभ मिलता है। मनोविकार दूर होते हैं। इन्हें सफेद फूल चढ़ाएँ, गाय के घी का दीपक जलाएँ। दूध-शहद और खोए की मिठाई का भोग लगाएँ।

सुनीता गुप्ता 
                               "जय माता दी"
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3 Comments

shweta soni

27-Sep-2022 11:53 AM

Behtarin rachana

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Gunjan Kamal

27-Sep-2022 08:20 AM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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मुझे यह कथा भी नही पता थी। बहुत ही अच्छे तरीके से बिना किसी गलती के आपने इतनी रोचक कथा पेश की।👏🏻👏🏻 धरती की रचना किस दिन हुई थी, इसका भी जिक्र है। अद्धभुत!👌👌 Khoye ka jikr sunkar to mere muh me hi pani a gya tha 😂 barfi favourite hai n mera😋

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