लेखनी कहानी -27- Sep-2022 dil sambhal ja jara phir Mohabbat karne chala hai tu. episode 33
अबीर अपना पर्स हाथ में लिए बैठा था , उस पर्स में लगी लता की फोटो को वो देख रहा था । उसकी आँखों में आंसू थे , वो अपना हाथ उस तस्वीर की तरफ बड़ा रहा था , उसका हाथ कांप रहा था । वो शायद उस तस्वीर को निकालना चाहता था ।
वो अपना काँपता हाथ उस तस्वीर की और बढ़ाता और एक दम से पीछे हटाता और अपने आप से कहता " नही, नही ये क्या कर रहे हो तुम अबीर, पागल हो गए हो क्या जानते नही हो ये तस्वीर कब से तुम्हारे पर्स में है, और तुम उसे निकाल रहे हो, नही नही तुम ऐसा कैसे कर सकते हो, नही मुझसे नही हो पायेगा, मुझसे नही हो पायेगा
मैं, लता की यादों को, उसकी हर एक चीज को अपने दिल से कभी नही निकाल सकता चाहे कुछ भी हो जाए, ये मुमकिन नही, ये मुमकिन नही
अबीर ने कहा और झट से अपना पर्स अपनी जेब में रखा और वहाँ से सीधा वाशरूम की और भागा ।
वहाँ जाकर उसने अपने चेहरे पर ज़ोर ज़ोर से पानी डाला, और बोला नही नही, मैं ऐसा करने की सोच भी नही सकता , मैं लता को अपने दिल से, अपनी यादों से हरगिज़ नही निकाल सकता ।
तभी वहाँ और लोग भी आ जाते है , अबीर जल्दी से टिश्यू पेपर से मुँह साफ कर वहाँ से लिफ्ट की और चला जाता है और फिर अपने केबिन में आकर कंप्यूटर पर बैठ जाता है ।
विक्रांत जी उसे अपने कैबिन से देख रहे थे . लेकिन अबीर अपने काम में व्यस्त हो चुका था। विक्रांत जी भी अपने काम में लग गए ।
वही दूसरी तरफ स्कूल की छुट्टी हो गई थी । अजूनी और रूही स्कूल से निकल रहे थे तब ही उनकी नज़र आरुष पर पड़ी , आरुष उन्हें देख मुस्कुराया।
अजूनी उसके पास आयी और बोली " तुम चले जाओगे ना आराम से रिक्शा वाले भैया के साथ "
"जी मैडम, पापा ने भईया को बता दिया है की मुझे कहा जाना है ये छोड़ आएंगे " आरुष ने कहा
ठीक है, संभाल कर जाना
"भईया ध्यान से बच्चों को छोड़ कर आना उनके घर , आपको पता है ना इस बच्चें को कहा छोड़ना है " अजूनी ने रिक्शा वाले भईया से पूछा
"जी मैडम हम जानते है , इनके पापा ने हमें बता दिया है , ज्यादा दूर नही है यही नजदीक में ही है वो घर जहाँ इन्हे छोड़ना है , किसी अभिमन्यु साहब का घर है " रिक्शा वाले भैया ने कहा
"ठीक है, आराम से छोड़ कर आना " अजूनी ने कहा और उन सब को बाय करके वहाँ से चली जाती है
आरुष उसे देखता है , अजूनी भी उसे जाते हुए देखती है
"क्या हुआ मासी माँ? क्या देख रही है ? " रूही ने पूछा
"कुछ नही बेटा, चलो हम लोग भी घर चले नानी इंतज़ार कर रही होंगी " अजूनी ने रिक्शा वाले को हाथ देते हुए कहा
अजूनी रिक्शा में बैठ गई थी और साथ में रूही भी , तभी अचानक अजूनी का ध्यान आरुष की उस बात पर जाता है जब उसने कहा था की वो भी परियो की कहानी सुनता था
"रूही बेटा आपकी अब तो दोस्ती हो गई ना आरुष से, और क्या बताया उसने अपने बारे में " अजूनी ने रूही से पूछा
"मासी माँ, वो ज्यादा बोलता नही है , मैने भी उससे कुछ नही पूछा बस उसके नाम के अलावा मुझे कुछ नही पता, वो चुप चुप रहा आज पूरे दिन" रूही ने कहा
"कोई बात नही बेटा, आप भी तो जब नयी नयी स्कूल आयी थी, तो अपने भी तो कहा किसी से दोस्ती की थी इसलिए आज आरुष का भी नया दिन था इसलिए वो भी थोड़ा उदास था, देखना कल वो सब से बातें करेगा और अपने बारे में भी बताएगा " अजूनी ने उसे समझाते हुए कहा
"ठीक है, मासी माँ आप कहती हो तो मान लेती हूँ लेकिन उसके पापा गंदे है आप को डांट रहे थे " रूही ने कहा
"अरे बेटा बढ़ो के बारे में ऐसा नही कहते, सॉरी बोलो और आरुष के सामने उसके पापा को इस तरह ना कहना , जिस तरह मुझे कोई कुछ कहता है तो आपको बुरा लगता है उसी तरह आरुष को भी बुरा लगेगा अगर आप उसके पापा को यूं इस तरह बुरा कहोगी , चलो अब मुझसे पिंकी प्रॉमिस करो की आगे से ऐसा कुछ नही कहोगी उन अंकल के बारे में " अजूनी ने कहा
"ठीक है मासी माँ, अब नही कहूँगी " रूही ने कहा
"ये हुयी ना अच्छे बच्चों वाली बात, चलो अब इसी बात पर मासी माँ को एक किस्स दो गाल पर " अजूनी ने कहा और अपना गाल आगे कर दिया
रूही ने उसके गाल पर एक प्यारी सी किस्स दी, अजूनी रूही के पेट में गुदगुदाने लगी
"मासी माँ बस, मुझे हसीं आ रही है "रूही ने कहा
लेकिन अजूनी उसके साथ हॅस रही थी की तभी अचानक उसकी हसीं रुक गई उसने बाजार में कुछ ऐसा देखा जिसके बाद उसकी हसीं कही खो गई ।
ये देख रूही ने उसकी तरफ देखा और बोली " क्या हुआ मासी माँ? आप इस तरह बाहर क्या देख रही है? अजूनी भी बाहर देखने को हुयी
लेकिन अजूनी ने उसे पकड़ कर अपने दुपट्टे में छिपा लिया और बोली " कुछ नही हुआ, बाहर मत देखो "
अजूनी का गला रोंधा सा हो गया था । दरअसल बाजार में उसने उसके पिता को देखा था जो अपनी दूसरी पत्नि और उसके दो बच्चे जो की लड़के थे उनका हाथ थामे बाजार में कुछ खा रहा था ।
वो आदमी तो ना तो पति और ना ही पिता कहलाने के लायक ही नही था, जो अपनी पत्नि और बच्ची को मरता छोड़ कर चला गया था अपने घर वालो के साथ जब उसे पता चला था की उसकी पत्नि बेटी को जन्म देकर इस दुनिया से जा चुकी , उस मासूम का क्या कसूर बस इतना ही की उसने बेटी के रूप में जन्म लिया था , कहने को तो बेटी देवी का रूप होती है लेकिन फिर भी कुछ ऐसे राक्षस नुमा लोग भी इस दुनिया में है जो उसके जन्म लेते ही, हेवानियत की सारी हदे पार कर देते है जैसे की इसके बाप ने की इतने सालों में एक बार भी मुड़ कर नही देखा अपनी बेटी का चेहरा आखिर कोई इंसान कैसे इतना पत्थर दिल हो सकता है वो भी एक पिता अगर मैं ना होती तो ना जाने आज ये बच्ची कहा और किस हाल में होती या तो अपने पिता और दादी का जुल्म सेह रही होती या फिर किसी अनाथ आश्रम में फेक दी गई होती, क्यू ईश्वर क्यू तूने लड़कियों की तक़दीर में ज़माने भर की ठोकरे लिखी है क्यू उसका जीवन इतना संघर्ष पूर्ण बनाया है जहाँ वो गर्भ से लेकर क़ब्र तक अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष ही करती रहती है , अजूनी के दिमाग़ में इस तरह के विचार चल ही रहे होते है
कि तब ही रिक्शा वाला उसे आवाज़ देता और कहता " मैडम अपने जो पता बताया था हम वहाँ आ चुके है "
"ज,, ज,, जी भैया , कुछ कहा अपने " अजूनी ने पूछा
रिक्शा वाले भैया ने अपनी बात दोहराई ।
"माफ करना मेरा ध्यान कही और था , जी बस यही उतार दीजिये मेरा घर आ गया " अजूनी ने कहा और रूही को रिक्शा से उतारा और पैसे देकर जाने लगी ।
वो गली से अपने घर जा रही थी कि तभी रास्ते में उसे राधिका मिल गई ।
"ओए होय, आज तो क्या कमाल लग रही है ? आज स्कूल में कोई फंक्शन था क्या? " राधिका ने तुरंत पूछा
"नही ऐसा कुछ नही था , माँ भी ना जबरदस्ती मुझे जॉकर बना कर आज स्कूल भेज दिया था , जान आफत में आगयी इन खुले बालो को मुँह पर से हटाते हटाते " अजूनी ने गुस्से से कहा
"किसने कहा कि तू जॉकर लग रही है , जरूर उस कि आँखों में ही कुछ कमी होगी तू तो आज इतनी हसीन लग रही है ,कि क्या बताऊ , मेरे पास लफ्ज़ नही है , शुकर है काकी ने ही सही तुझे उन सादे सूदे कपड़ो से छुट्टी तो दिलाई घर आकर उनका धन्यवाद कहूँगी, तू प्रिंसिपल क्या बनी तूने तो अपना रेहन सहन सब खड़ूस वाली प्रिंसिपलो कि तरह कर लिया, तेल लगी चोटी, बड़ा सा चश्मा चेहरे पर, सादे कपडे और एक पुराना सा पर्स जिसमे किताबें ही भरी होती है " राधिका ने कहा
"चल अब मुझे इस बेरी के झाड पर मत चढ़ा, इतनी भी प्यारी नही लग रही थी, जितना तू बखान कर रही है और बता कैसे गली में घूम रही है घर पर कुछ काम धंधा नही है , या रीवायती बुढ़ियों कि तरह मोहल्ले के घर झाँकती फिर रही है किस के घर में क्या चल रहा है " अजूनी ने कहा थोड़ा गुस्से से
"क्यू भाई, इतना गुस्सा किस पर कर रही है , मैं तो बस ऐसे ही थोड़ा समय मिला था तो सोचा पड़ोस में हो आऊ , लेकिन तुझे देख कर तो लग रहा है किसी से लड़ कर आ रही है , सच सच बता क्या बात है , किसी से लड़ाई हुयी, मुझे बता मैं जाकर ठीक करती हूँ " राधिका ने कहा
"कुछ नही, बस आज थोड़ा थक गई, बस इसलिए माफ करना तुझे कुछ बुरा लगा हो तो " अजूनी ने कहा
"बड़ी आयी माफ़ी मांगने वाली, इतना काम करेगी तो थकेगी तो आप ही, अच्छा ये बता उस बच्चें का क्या हुआ, उसका बाप आया था माफ़ी मांगी उसने, क्या हुआ तूने उसे दाखिला दे दिया " राधिका ने पूछा
." सारे सवाल यही गली के नुक्कड़ पर ही पूछ लेगी क्या, हा कर दिया उसका दाखिला , आया था वो अपने बेटे को लेकर " अजूनी और कुछ कहती तब ही राधिका बोल पड़ी
"अच्छा, फिर माफ़ी मांगी उसने तुझसे अपने उस दिन के रावइये के लिए "
"मुझे नही चाहिए उस कि माफ़ी वाफी, मुझे बस अपनी गलती का एहसास था तो इसलिए मैने उसके बेटे को दाखिला दे दिया अब वो कुछ भी करे मुझे इससे क्या, मेरा जो फर्ज़ था वो पूरा कर दिया " अजूनी ने कहा
"ठीक किया तूने , चल अच्छा मैं चलती हूँ शाम को समय मिला तो चक्कर लगाती हूँ, तेरी तरफ अपना ख्याल रखना " राधिका ने कहा और उसे गले लगाया और रूही को प्यार किया
"चल अच्छा, शाम को मिलते है पर हा समय मिले तब आना , वरना मत आना कही में तेरी सास और पति तुझे डांट लगा दे रोज़ रोज़ मेरे घर आने पर " अजूनी ने कहा
"ठीक है, उनकी इज़ाज़त लेकर ही आउंगी " राधिका ने कहा और चली जाती है
अजूनी उसे विदा लेकर अपने घर के दरवाज़े पर आती और दरवाज़े पर लगी बेल बजाती ।
"आ रही हूँ " कमला जी ने कहा
दरवाज़ा खोल कर " आ गई तुम दोनों चलो अंदर चलो, लाओ ये बेग मुझे दो " कमला जी ने कहा
कमला जी पानी लाती है , और दोनों को देती है
"शुक्रिया माँ, बहुत प्यास लगी थी "अजूनी ने पानी पी कर कहा
"क्या हुआ, बड़ी थकी थकी लग रही है , आवाज़ भी बदली सी लग रही है , तबीयत तो ठीक है तेरी " कमला जी ने उसके माथे को छूते हुए पूछा
"हाँ, माँ तबीयत को क्या होना है, सब ठीक है अच्छा खाने में क्या बनाया है, अपने तो खाया नही होगा अभी तक, चलो फिर खाना निकालते है , खाना खाते है " अजूनी ने थोड़ा नज़रे चुराते हुए कहा
रूही अपने कमरे में जा चुकी थी ।
"कुछ तो बात है, जो तू मुझसे छिपा रही है , कुछ हुआ है क्या? " कमला जी ने पूछा उसके पास बैठते हुए
"नही माँ, ऐसा वैसा कुछ नही हुआ है, आप तो बात बात पर परेशान हो जाती हो " अजूनी ने कहा
"बेटा, मैं माँ हूँ तेरी, तेरे चेहरे को देख कर तेरे दिल का हाल समझ सकती हूँ, कि तुझे कुछ तो हुआ है और तेरा ये मुझसे नज़रे चुराना , बता क्या बात है , किसी ने कुछ कहा , मोहल्ले में किसी ने कुछ कहा , बता तू मुझे मैं अभी ठीक करके आती हूँ " कमला जी ने कहा और वहाँ से उठने लगी लेकिन तब ही अजूनी ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली " बैठ जाओ माँ, किसी ने कुछ नही कहा "
"तो फिर, इस तरह उदासी के पीछे कि वजह क्या है ? " कमला जी ने कहा
"माँ, आज रास्ते में मैने जीजू को देखा था , उस समय रूही मेरे पास थी , वो किसी औरत के साथ थे जरूर उनकी दूसरी पत्नि होगी और साथ में दो बच्चे भी थे जरूर उनके ही होंगे, उन्हें इस तरह देख मुझे बहुत ही गुस्सा आ रहा था, रूही भी तो उनकी ही बेटी है एक बार भी पलट कर उस इंसान ने उसकी खबर नही ली, उसके सर पर एक बार हाथ फेर देते तो कम से कम उसे सुकून तो होता कि उसकी माँ ज़िंदा नही है लेकिन बाप तो ज़िंदा है, जो उससे मिलने आता है , लेकिन उस आदमी ने तो एक बार भी अपने पिता होने का फर्ज़ नही निभाया क्या इतने ज़ालिम होते है आदमी, क्या उनके सीने में दिल नही होता है , क्या उस आदमी को इन पाँच सालों में कभी याद नही आया कि उसकी एक बेटी भी है , उसकी नसो में भी उसका खून बह रहा है जिस तरह वो दूसरी औरत के बच्चों को साथ लिए घुमा रहा था उसी तरह रूही को भी तो घुमा सकता था , रूही का भी तो हक़ था अपने पिता के कांधो पर बैठ कर घूमने का, क्यू उसे इस लिए छोड़ दिया गया कि वो एक लड़की थी उस आदमी के दिल में भले ही मेरी बहन के लिए कोई जज़्बात नही थे, उसने हमेशा उसे घर में काम करने वाली एक नौकरानी समझा लेकिन कम से कम अपने खून को तो एक बार देख लेता पलट कर क्या ऐसे होते है मर्द क्या उनके दिल में जरा सी भी अपनी पत्नि के लिए प्रेम भावना नही होती है ? " अजूनी ने कहा कमला जी से
कमला जी बैठ गई और अजूनी के आंसू साफ करते हुए बोली " मत रो मेरी बच्ची , इस तरह खुद को परेशान ना कर , रूही हमारी बेटी कि बेटी है उसकी परवरिश तुझसे अच्छी कोई कर ही नही सकता, तूने तो उसे कभी ना तो माँ कि और ना ही पिता कि कमी पूरी होने दी जिस दिन से तूने उसे गोदी में उठाया उस दिन से ही तू उसकी माँ बन गई और बाप भी , जाने दे उस आदमी को वो तो था ही ऐसा, देखना एक दिन उसे अपनी बेटी कि याद ज़रूर आएगी जिसे उसने अस्पताल में ही भगवान के हवाले कर दिया था , इस दुनिया में सब को उनके गुनाहो कि सजा मिल कर रहेगी और एक दिन उसको भी इस गुनाह कि सजा ज़रूर मिलेगी, तू देखती जा और रही बात आदमियों कि तो मेरी बेटी ये दुनिया अच्छे और बुरे लोगो से भरी हुयी है यहाँ बुरो के साथ साथ अच्छे भी लोग रहते है , हर मर्द का दिल पत्थर नही होता बहुत से आदमियों का दिल शीशे कि तरह साफ होता है , जिसमे एहसास होते है किसी को खो देना का डर होता है , सब लोग एक जैसे नही होते है , तू उदास मत हो तू ही रूही कि माँ भी है और पिता भी , उस आदमी को जी लेने दे अपनी जिंदगी अपनी बेटी को छोड़ कर देखना एक दिन वो खुद चल कर अपनी बेटी के पास आएगा समय का चक्र हर इंसान को वहाँ लाकर खड़ा कर देता है जहाँ से उसने किसी गुनाह को अंजाम दिया होता है बस फर्क इतना होता है कि उस समय उसे उसके गुनाह कि सजा मिल रही होती है जो गुनाह उसने किया होता है ।
चल अब अपना मूड ठीक कर , खाना खाते है आज मैने तेरी पसंद कि सब्जी बनायीं है , मुँह हाथ धो और खाना खा
अजूनी को अपनी माँ कि बातें समझ आ गई थी, उसने प्यार से अपनी माँ को गले लगाया और बोली " तुम ना होती तो ना जाने ये अजूनी कब कि हिम्मत हार गई होती शुक्रिया माँ, मुझे हर मुश्किल परेशानी से निकालने के लिए "
"मेरा शुक्रिया ना अदा कर , बल्कि मुझे तेरा शुक्रिया अदा करना चाहिए और साथ साथ ईश्वर का जिसने मुझे तुझ जैसी बेटी दी जो की हर मुश्किल का डट कर सामना करती है , और हमें उस परेशानी से निकाल देती है " कमला जी ने कहा और अजूनी का माथा चूमा
"यहाँ क्या हो रहा है? क्या कोई मुझे प्यार नही करेगा? " रूही ने कहा जो की कपडे बदल कर बाहर आ गई थी
दोनों मुस्कुराई और अपनी बाहे फेला कर बोली " तुम तो हमारी जान हो, तुम्हे भला कैसे प्यार नही करेंगे आ जाओ "
रूही दौड़ती हुयी जाकर उनके गले लग जाती है, तीनो एक दूसरे के गले लग कर प्यार करते है ।
आगे क्या होगा जानने के लिए जुड़े रहे मेरे साथ
Pratikhya Priyadarshini
27-Sep-2022 02:35 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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