Madhu Arora

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अहंकार

अंहकार
अंहकार ने घेरा मुझे,
भीड़ ने लोगों की बताया मुझे।
कोई कहता है तुम यह करो
कोई कहता है तुम वह करो।

भाव एक के बाद एक बढ़ते रहे,
दिग्भ्रमित लोग मुझे करते रहे।
हर एक को लगा  मैं हूँ सही,
दूजा कहे देखो मैं हूं सही।

इस दुनिया में देखो आश्चर्य भरा,
तरक्की में देखो अहम ने घर करा।
मानव की तो बात छोड़ दो,
देवताओं में भी यह खूब भरा।

मैं मैं तो किसी की रही नहीं,
मैं मैं जिस ने करी जग से गया वहीं।
मैं मैं मैं तू रमना नहीं,
इससे बचकर तू चलना यही।

अहंकार मार्ग अवरुद्ध करेगा,
वह तो आगे बढ़कर तनेगा।
सावधान तू बंदे हो जा,
इससे तू बच कर चलना।
            रचनाकार ✍️
            मधु अरोरा
  

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8 Comments

Palak chopra

28-Sep-2022 10:21 PM

Bahut accha

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Swati chourasia

28-Sep-2022 07:53 PM

बहुत ही सुंदर रचना 👌👌

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Raziya bano

28-Sep-2022 09:48 AM

Nice

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