Sunita gupta

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जिंदगी

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कुछ साल पहले, मेरी एक सहेली ने सिर्फ 50 साल की उम्र पार की थी। लगभग 8 दिनों बाद वह एक बीमारी से पीड़ित हो गई थी ... और उसकी जल्दी ही  मृत्यु हो गई।
ग्रुप में हमें एक शोक संदेश प्राप्त हुआ कि ... *"दुख की बात है .. वह हमारे साथ नहीं रही " ... RIP* 

दो महीने बाद मैंने उसके पति को फोन किया। ऐसे ही मुझे लगा कि  .. वह बहुत परेशान होगा.  क्योंकि ट्रैवल वाला जॉब था। अपनी मृत्यु तक मेरी सहेली सब कुछ देख लेती थी .. घर .. अपने बच्चों की शिक्षा ... वृद्ध ससुराल वालों की देखभाल करना .. उनकी बीमारी .. रिश्तेदारों का प्रबंधन करना .. _ *सब कुछ, सब कुछ, सब कुछ* _

वह कहती रहती थी .. "मेरे घर को मेरे समय की जरूरत है, .. मेरे पति चाय काफ़ी भी नहीं बना पाते, मेरे परिवार को मुझसे हर चीज के लिए जरूरत है, लेकिन कोई भी मेरे द्वारा किए गए प्रयासों की परवाह नहीं करता है और न ही मेरी सराहना करता है। सब मेरी मेहनत को नोर्मल मान के चलते हैं  "।

मैंने उसके पति को यह जानने के लिए फ़ोन किया कि क्या परिवार को किसी सहारे की जरूरत है. मुझे लगा कि उनके पति बहुत परेशान होंगे  .. अचानक से सारी ज़िम्मेदारियों को निभाना है, उम्र बढ़ने के साथ साथ .. माता-पिता, बच्चे, अपनी नौकरी , इस पर अकेलापन उम्र ..  कैसे होंगे बेचारे ?

फोन कुछ समय के लिए बजा ..नही उठाया ... एक घंटे के बाद उन्होंने वापस कॉल किया.. उसने माफी मांगी कि वह मेरे कॉल का जवाब नहीं दे पाए. क्यूँकि अपने क्लब में एक घंटे के लिए टेनिस खेलना शुरू किया था और दोस्तों से मिलना वग़ैरह भी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनका समय  ठीक से गुजर जाए।

 यहां तक ​​कि उन्होंने पुणे में ट्रान्स्फ़र करवा लिया। इसलिए अब ट्रैवल नही करना पड़ता ।

"घर पर सब ठीक है?" मैंने पूछा;

उन्होंने जवाब दिया, एक रसोइया रख लिया है  .. थोड़ा और पेमेंट किया तो वह किराने का सामान और सब्ज़ी फल वग़ैरह भी ला देगा । उन्होंने अपने बूढ़े माता-पिता के लिए *फ़ुल टाइम केयर टेकर* रख ली थी।

 "ठीक चल रहा है  ... बच्चे भी ठीक हैं। जीवन धीरे धीरे सामान्य स्थिति में लौट रहा है “... उन्होंने कहा।

मैं मुश्किल से एक-दो वाक्य बोल पायी और हमारी बात पूरी हो गयी ।
मेरी आंखों में आंसू आ गए।
मेरी सहेली मेरे ख्यालों में आ रही थी ... उसने अपनी सास की छोटी सी बीमारी के लिए हमारे स्कूल के पुनर्मिलन को छोड़ दिया था। वो अपनी भतीजी की शादी में नही गयी क्योंकि उसको अपने घर में मरम्मत के काम की देखरेख करनी थी।
वह कई मजेदार पार्टियों और फिल्मों से चूक गई थी क्योंकि उसके बच्चों की परीक्षा थी और उसे खाना बनाना था, उसे अपने पति की जरूरतों का ख्याल रखना था ...
उसने हमेशा कुछ प्रशंसा और कुछ पहचान की तलाश की थी .. जो उसे कभी नहीं मिली।

आज मुझे उसका कहने का मन हो रहा है ।।
यहाँ कोई भी अपरिहार्य नहीं है।
और कोई भी याद नहीं किया जाएगा .. यह सिर्फ हमारे दिमाग का भ्रम है।

शायद यह सांत्वना है .. या यूँ कहें की हमारे समझने का तरीक़ा... जब आप दूसरों को खुद से पहले रखते हैं तो वास्तव में आप यह भी दिखा रहे होते हैं की आप पहले नहीं हैं 

 *रियालिटी बाइट्स* :
 _ उसके मरने के बाद उन्होंने दो और नौकरानियाँ रख ली गईं और घर ठीक चल रहा था
इसलिए
 मन का यह वहम हटा दो कि मैं अपरिहार्य हूं और मेरे बिना घर नहीं चलेगा ..

💟 *सभी महिलाओं को मेरा संदेश:*

*सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अपने आप के लिए  समय निकालें ..*

... *अपने दोस्तों के साथ संपर्क में रहें ... बात करें, हंसें और आनंद लें*

*अपने शौक़ पूरे करो, अपने जुनून को जियो, अपनी जिंदगी को जियो*

*कभी कभार वो उन चीजों को करें जो करने में हमें मज़ा आता हैं ...*

💙 दूसरों में अपनी ख़ुशी मत देखो, *तुम भी कुछ खुशियों के हकदार हो* क्योंकि अगर तुम खुश नहीं हो तो तुम दूसरों को खुश नहीं कर सकते 

हर किसी को आपकी ज़रूरत है, लेकिन आपको भी अपनी देखभाल और प्यार की ज़रूरत है।

*हम सभी के पास जीने के लिए केवल एक ही जीवन है*

*ज़िन्दगी बहुत ख़ूबसूरत  है ...*💐💐💐

Copi paste ,,सुनीता गुप्ता ,,सरिता,,कानपुर 

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3 Comments

Palak chopra

29-Sep-2022 12:49 AM

Bahut khoob likha

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Bahut khoob 🙏🌺

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Gunjan Kamal

28-Sep-2022 04:41 PM

जी मैम! बिल्कुल सही कहा आपने, वाकई जिंदगी बहुत खुबसूरत है सिर्फ नजरिया बदलने की जरूरत है

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