Add To collaction

कविता

तेरे "सोहबत" में रहकर तो,

मैं "कविता" सीख पाता हूं।

तुझे देखूं जो सिद्दत से,

कविता एक पाता हूं।


कविता भी जो एक ऐसी,

जो मुझको कुछ नया सिखलाती है,

मुझे तुझसे जोड़ती है,

मुझे तेरा बनाती है।


तुझमें मैं कुछ अलग सा,

एक "भाव" पाता हूं,

अपने सारे भावों का,

एक "ठहराव पाता हूं।


   14
7 Comments

Palak chopra

28-Sep-2022 10:40 PM

👍

Reply

Raziya bano

28-Sep-2022 09:50 PM

Nice

Reply

Bahut khoob 🙏🌺

Reply