क्षणिकाएं – २२
क्षणिकाएं – २२
(१)
बड़ा मासूम मेरी मौत का सौदागर निकला
सिर्फ मुस्कान से जान ले के दिल दे गया।।
(२)
कौन रेत में रेत के किले बनाता है
ये हुनर बस कुछ को ही तो आता है
कतल करके भी मुस्कुराते हैं जो हर पल
दफन कर के ख्वाबों को अपने ही अंदर।।
(३)
मेरे साथ साथ वो भी हौले हौले बदल रहा है
दुनिया की टेढ़ी सीधी राहों पे चल रहा है
चुप रहता है, सुनता है फिर अपनी सी चाल चल रहा है
हंसता है, हंस कर के खुद को ही छल रहा है
मेरे अंदर का सीधा मानुस तिल तिल कर के मर रहा है।।
गुलज़ार साब को उनके जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं।
उनके लिए, मेरे कुछ खयाल उनके मधुर गीत "दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन", पर समर्पित।
आभार – नवीन पहल – २९.०९.२०२२ 🌹🙏🌹
# नॉन स्टॉप २०२२
आँचल सोनी 'हिया'
01-Oct-2022 12:48 AM
Bahut khoob 💐🙏🌺
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Supriya Pathak
30-Sep-2022 11:12 PM
Bahut khoob 🙏🌺
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Raziya bano
29-Sep-2022 08:16 PM
Nice
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