क्षणिकाएं – २२

 

क्षणिकाएं – २२

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बड़ा मासूम मेरी मौत का सौदागर निकला
सिर्फ मुस्कान से जान ले के दिल दे गया।।

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कौन रेत में रेत के किले बनाता है
ये हुनर बस कुछ को ही तो आता है
कतल करके भी मुस्कुराते हैं जो हर पल
दफन कर के ख्वाबों को अपने ही अंदर।।

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मेरे साथ साथ वो भी हौले हौले बदल रहा है
दुनिया की टेढ़ी सीधी राहों पे चल रहा है
चुप रहता है, सुनता है फिर अपनी सी चाल चल रहा है
हंसता है, हंस कर के खुद को ही छल रहा है
मेरे अंदर का सीधा मानुस तिल तिल कर के मर रहा है।।

(४)
फुरसत तो है पर फुरसत के पल नहीं
हसरत तो है पर हसरतों का कोई हल नहीं
यूँ ही दौड़ रहें हैं हम दुनिया की भीड़ में
बेमानी तो है पर कोई गुज़र नहीं
एक दिन मिट जाएंगे कदमों के भी निशाँ
जानता हूँ फिर भी सब्र नहीं।।

गुलज़ार साब को उनके जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं।
उनके लिएमेरे कुछ खयाल उनके मधुर गीत "दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन", पर समर्पित।

आभारनवीन पहल२९.०९.२०२२  🌹🙏🌹

# नॉन स्टॉप २०२२ 

 

 

 

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7 Comments

Bahut khoob 💐🙏🌺

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Supriya Pathak

30-Sep-2022 11:12 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Raziya bano

29-Sep-2022 08:16 PM

Nice

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