लेखनी कहानी -29-Sep-2022 प्रतियोगिता हेतु कहानी आध्यात्मिक जीवन

आध्यात्मिक जीवन

धरती पर हमारे जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है?
सदियों से रहस्यवादियों, संतों, ऋषियों और योगीजनों ने हमें एक ही उत्तर दिया है – ईश्वर के साथ व्यक्तिगत सम्बंध विकसित करना — वह जो हमारे जीवन को ब्रह्म के साथ जोड़ता है। आध्यात्मिक जीवन उस सम्बंध को विकसित करने का व्यवहारिक तरीका है।

जब मानव मन पापों में लिप्त होकर काम करता है ।उसमें बुराइयां भरी होती है मानव मन अंदर से शुद्ध होता है, तो उसके मन में पाप की भावना नहीं आती है। शुद्ध हृदय से पवित्र मन से जब वो किसी भी काम को करता है।चाहे वह कर्म हो चाहे किसी की मदद हो चाहे धर्म हो, और चाहे पूजा पाठ हो सभी अच्छे कर्म की पवित्रता से किए गए कार्य अच्छा दिमाग आध्यात्मिकता की ओर ले जाता हैं।

जब कोई भी मनुष्य अपने जीवन पर मनन चिंतन करता है, अपने आप से साक्षात्कार करता है, और मन ही मन में अपने अंदर की भरी हुई बुराइयों के बारे में सोचता है, और उन्हें निकाल फेकता है ।अपने मन को पवित्र बना कर भगवान में ध्यान लगा कर दूसरे मानवों की मदद करता है। परोपकार करता है। तब वह आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने लगता है। केवल माला लेकर जपना आध्यात्मिकता नहीं। मन में तो आपके पाप भरा हुआ है। किसी का भला नहीं कर सकते हैं, और ऊपर से माला लिए जपते रहेंगे,तो वह कोई आध्यात्मिकता नहीं है। उसको आध्यात्मिकता नहीं कहते हैं, यह तो निरा पाखंड है। हर व्यक्ति को सोच समझकर समाज में रहना चाहिए। एक दूसरे के साथ व्यवहार करना चाहिए और मन को पवित्र रख ईश्वर में आस्था रख, अपने आत्मा को परमात्मा से मिलाने में तत्पर रहना चाहिए तभी आत्मसाक्षात्कार संभव हो सकेगा, और आध्यात्मिक जीवन की ओर अग्रसर हो जीवन आनंदमय हो पाएगा

“आत्मसाक्षात्कार क्या है—शरीर, मन एवं आत्मा में—यह जानना , कि हम ईश्वर की सर्वव्यापकता के साथ एक हैं; कि हमें यह प्रार्थना  करनी है  कि हम न केवल सदैव उनके समीप रहें। ईश्वर की सर्वव्यापकता है; हम उनके अब भी उतने ही अंश हैं जितने कि हम सदैव रहेंगे। हमें केवल इतना ही करना है कि हम अपनी जानकारी सुधारें और बढ़ाएं।”

"परमहंस योगानन्द" ने दिखाया है, कि हम जिस ज्ञान, रचनात्मकता, खुशी और सुरक्षा की तलाश कर रहे हैं, वह हमारे भीतर है,  और वहीं हमारे अस्तित्व का सार है। एक बौधिक दर्शनशास्त्र की तरह नहीं बल्कि वास्तविक अनुभव के सहारे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में समझदारी, धर्म कर्म और शक्ति प्रदान करता है।

शरीर, मन और आत्मा में संतुलन और सामंजस्य, संतुलित जीवनशैली और ध्यान का अभ्यास, ही आध्यात्मिक जीवन की शैली में सिखाया जाता है, वह शरीर, मन व आत्मा की अन्तःसम्बन्ध की समझ पर आधारित है। यही एक प्रणाली है जो हमारे स्वभाव के इन सभी पहलुओं को शक्तिशाली, संतुलित और स्वस्थ रखने के लिए बनाई गयी है।

हमारे जीवन में जो कुछ भी होता है। वह प्रत्येक व्यक्ति के अभ्यास की गहराई के अनुपात के अनुसार —और साथ में गहन समझ और परमसत्य का अनुभव प्रदान करता हैं। हमारे तन मन और आत्मा की पवित्रता और परमात्मा का हृदय की गहराइयों से जान समझ लेता है। सभी के सुख दुख का ध्यान रखते हुए प्रकृति की गोद में जीवन का सच्चा आनंद ही आध्यात्मिक जीवन है।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
 लखनऊ उत्तर प्रदेश। 
 स्व लिखित मौलिक व अप्रकाशित
 @सर्वाधिकार सुरक्षित।

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6 Comments

Khushbu

05-Oct-2022 03:50 PM

Nice

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Palak chopra

30-Sep-2022 12:15 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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Mohammed urooj khan

29-Sep-2022 08:34 PM

सुंदर प्रस्तुति 👌👌👌

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