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आग़ोश

            
बीत गए ज़माने
जब तेरे आगोश में था ठिकाना
क्यों तोड़ दिए वादे
तोड़ा ख्वाबों का आशियाना

अब तो मान लिया दिल ने
तन्हा ही रहना है
दिल का यह खालीपन
हमें खुद ही सहना है

उम्मीदों के चिरागों को
हम खुद ही बुझा देंगे
इन गहरे अंधेरों को
अपनी आदत बना लेंगे

दिल की बेचैनियों की
न करेंगे कभी शिकायत
अब तेरी बेरुखी को
मानेंगे अपनी किस्मत

थामेंगे अब तो हम भी
खामोशियों का दामन
जब तक नही थमेगी
ये थकी थकी सी धड़कन

           प्रीति ताम्रकार
            जबलपुर


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6 Comments

Niraj Pandey

24-Aug-2021 05:11 AM

वाह

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Swati chourasia

24-Aug-2021 01:16 AM

Very beautiful

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Gunjan Kamal

23-Aug-2021 06:20 PM

बहुत खूब मैम👏👏🙏🏻

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