दादी पोता
शम्मी अपने पापा मम्मी और दादी के साथ रहता था। शम्मी अपनी दादी से बहुत प्यार करता था। शम्मी अपनी दादी की छोटी से छोटी समस्याएं भी हल कर देता था। और अपनी दादी को हमेशा खुश रखता था।
अपनी दादी को खुश देखकर शम्मी की आत्मा बहुत प्रसन्न हो जाती थी। शम्मी 12वीं कक्षा में पढ़ता था।
उसके पड़ोस में एक अर्चना नाम की लड़की रहती थी। अर्चना और शम्मी एक ही कक्षा में पढ़ते थे। अर्चना शम्मी की सबसे अच्छी दोस्ती थी।
अर्चना और शम्मी का परिवार मिल जुलकर और बहुत प्यार मोहब्बत से रहते थे।
अर्चना और शम्मी अपने स्कूल का होमवर्क दादी के कमरे में बैठकर करते थे।दादी भी कमरे में बैठकर धार्मिक किताबें पढ़ती रहती थी। और यह दोनों अपनी कक्षा का होमवर्क करते रहते थे।
स्कूल का होमवर्क खत्म करने के बाद शम्मी और अर्चना दादी से पुराने समय की बातें सुनकर जानकारी लेते थे।
एक दिन दादी इन दोनों को अपने पुराने समय कादशहरे के मेले का किस्से सुनाती है।
कुछ दिनों के बाद दशहरे का त्यौहार आ जाता है। शम्मी अर्चना दादी को दशहरे का मेला घुमाने ले जाते हैं।दशहरे के मेले की भीड़-भाड़ से दूर खड़े होकर दादी को रावण कुंभकरण मेघनाथ के पुतले जलते हुए दिखाते हैं। और उस दिन बाजार में दादी के साथ घूमते हुए, गोलगप्पे आलू की टिक्की जलेबी आदि खाते हैं।
शम्मी की दादी अर्चना और शम्मी के सर पर हाथ फिरा कर बहुत प्यार करती है। दादी की यह खुशी देखकर शम्मी और अर्चना बहुत खुश होते हैं।
शम्मी 1 दिन स्कूल से आकर देखता है, उसकी दादी बहुत ही उदास और किसी सोच में कुर्सी पर बैठी हुई थी। शम्मी दादी के पास आकर पूछता है "दादी क्या समस्या है। आपको"
दादी शम्मी से कहती है "तेरे दादा का एक बहुत ही खूबसूरत और खास फोटो कहीं गुम हो गया है। वह फोटो कहीं भी मिल नहीं रहा। शम्मी भी उसी समय दादी की बात सुनकर कमरे में फोटो ढूंढना शुरू कर देता है।
शम्मी को फोटो ढूंढते ढूंढते शाम हो जाती है। उसे फोटो कहीं भी नहीं मिलता। दादा जी का फोटो ना मिलने की वजह से दादी के चेहरे पर और उदासी छा जाती है।
दादी को दुखी उदास देखकर शम्मी और ज्यादा बेचैन होने लगता है। शम्मी अपने दादा जी का फोटो ढूंढते ढूंढत परेशान हो जाता है। और एक जगह बैठकर अपने सर पर हाथ रख बैठ जाता है।
शम्मी की दादा जी का फोटो मिलने की उम्मीद पूरी तरह खत्म हो चुकी थी।
शाम को अर्चना स्कूल का होमवर्क करने दादी के कमरे में शम्मी के पास आती है। शम्मी को परेशान देखकर और दादी के चेहरे पर उदासी देखकर अर्चना शम्मी से इसका कारण पूछती है।
शम्मी बताता है कि "दादाजी का खास फोटो कहीं गुम हो गया है।"
अर्चना शम्मी को उम्मीद दिला कर उसके साथ दोबारा फोटो ढूंढने में लग जाती है।शम्मी जैसे ही एक पुराने संदूक को उठाता है। उस के नीचे दादाजी की वही फोटो मिल जाती है।
और शम्मी को ऐसा महसूस होता है, जैसे उसे कोहिनूर हीरा मिल गया हो।
शम्मी खुश होकर दादी को दादा जी का फोटो देता है। फोटो देखकर दादी बहुत खुश हो जाती है। और खुश होकर अर्चना और शम्मी को अपने सीने से लगा लेती है।
कहानी का संदेश -अपने दादा दादी के साथ समय बिताना चाहिए। और उनकी छोटी से छोटी समस्या भी हल करनी चाहिए, जिससे उन्हें खुशी मिले।
Milind salve
07-Oct-2022 05:48 PM
बहुत खूब
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shweta soni
04-Oct-2022 04:58 PM
Acha likha hai
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Barsha🖤👑
03-Oct-2022 06:24 PM
Beautiful
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