दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय स्वप्न
स्वप्न
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नैनो मे कुछ बसे सपने है ,कभी होंगे सच तो कभी छूट जायेंगे ।सपनो की दुनियां मे अजीब कशमकश है बंद आंखों से दिखाई देता सब है ।जब आंखें खुलती हैं तो सब खत्म हो जाता हैं।
चंद लम्हों की इस दुनियां मे ,प्यासी। आंखें ढूंढती है उस अनंत को ,पर सपनो की इस दुनियां मे ,मिल जाता सब कुछ है ।
इस सजीव सपने को भूल जाते सब हैं ,अपने अपने को समझते सब महान ,हकीकत से अनभिज्ञ है।
सुनीता गुप्ता ,,सरिता,,कानपुर
Khan
06-Oct-2022 11:25 PM
Bahut khoob 💐👍
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आँचल सोनी 'हिया'
05-Oct-2022 07:53 PM
Very nice 👍🌺
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Swati chourasia
05-Oct-2022 07:38 PM
बहुत खूब 👌
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