Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय तन्हाई

🌹मेरी तन्हाईयों का वजूद तुम हो.. 
मेरी हर नज़्म में मौजूद तुम हो ...! 

कैसे बताऊं और कैसे जताऊं तुम्हें .. 
मेरी हर सांस का वजूद तुम हो ..!! 

आधा अधूरा सा लगता है हरदम ... 
मेरे उस आधे पन का वजूद तुम हो ...!!

नहीं हो आसपास मेरे फिलहाल तुम.. 
मेरी इस #बेखुदी का वजूद तुम हो .!! 

रात दिन सुबह शाम सोचता हूं तुम्हें .. 
मेरे ख्यालातों का वजूद तुम हो..!!🌹                      🌹🌹शुभ प्रभात 🌹🌹
सुनीता गुप्ता"सरिता"कानपुर

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10 Comments

Pratikhya Priyadarshini

09-Oct-2022 01:19 AM

Bahut khoob 💐👍

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Bahut khoob 💐👍

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Milind salve

07-Oct-2022 05:04 PM

बहुत खूब

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