मासूम
कुमर पाल की आयु 21 वर्ष की थी। वह दिल्ली में एक दवाइयों की कंपनी में सुपरवाइजर की पोस्ट पर काम करता था। कुमारपाल यूपी के छेरत गांव का रहने वाला था।
वह अपने माता-पिता का इकलौता पुत्र था। उसके पिता का स्वर्गवास हो चुकाथा।उसके परिवार में अब दादी और मां थी। कुमरपाल अपनी दादी और मां से बहुत प्यार करता था। घर में उसकी दादी का ही हुकुम चलता था।
कुमरपाल हर छह महीने के बाद दवाइयों की कंपनी से 1 महीने की छुट्टी लेकर अपने गांव आता था। और गांव में अपने परिवार यार दोस्तों के साथ वह एक महीना बड़े उत्साह और खुशी से बिताता था।
कुमरपालएक दिन छुट्टियां बिताने अपने गांव आता है। कुमर पाल की दादी कुमर पाल की शादी करवाने की जिद पर अड़ जाती है। कुमर पाल के मना करने पर कुमर पाल की दादी उस से रुठ जाती है।
कुमरपाल अपनी दादी को समझा-बुझाकर कुछ समय के लिए शादी का समय मांग लेता है।
दिल्ली आकर कुमर पाल अपने काम धंधे में व्यस्त हो जाता है। और उसकी शादी की बात टल जाती है।
एक दिन कुमर पाल के पास कंपनी में फोन आता है, कि उसकी दादी की तबीयत बहुत ज्यादा खराब है। कुमरपाल तुरंत कंपनी से छुट्टी लेकर अपनी दादी से मिलने गांव पहुंच जाता है।
कुमर पाल की दादी बीमार होने के बावजूद कुमर पाल की शादी के लिए जिद पर अड़ जाती है। और मजबूर होकर कुमर पाल को शादी करनी पड़ती है।
कुमरपाल की बहुत धूम-धाम से एक सुंदर लड़की से शादी हो जाती है। शादी होने के बाद दादी फिर जिद पर अड़ जाती है। और कुमर पाल को 1 महीने से ज्यादा गांव में रोक लेती है।
इस वजह से कुमरपाल को कंपनी की तरफ से आदेश मिलता है,कि वह 2 साल तक लंबी छुट्टी नहीं कर सकता। सप्ताह का एक अवकाश उस को मिलता रहेगा।
समय बीतता जाता है और एक दिन कुमर पाल के पास गांव से फोन आता है, कि उसकी पत्नी ने एक बहुत ही सुंदर पुत्री को जन्म दिया है।कुमरपाल उसे देखने के लिए बेचैन हो जाता है। पर कंपनी के आदेश के अनुसार वह छुट्टी नहीं कर सकता था।
फोन पर कुमर पाल की बातों से दादी समझ जाती है कि, कुमर पाल अपनी पुत्री से मिलने के लिए कितना बेचैन है। इस वजह से वह दूसरे दिन ही सुबह जल्दी उठकर कुमर पाल की पत्नी और पुत्री को अपने साथ लेकर कुमर पाल से मिलने शहर पहुंच जाती है।
और शहर में आकर कुमरपाल की दादी और पत्नी कुमरपाल की कंपनी को ढूंढ नहीं पाते और खो जाते हैं।
कुमर पाल की मां का फोन कुमार पाल के पास आता है। की दादी तेरी बेचैनी को समझ कर तुझे अचानक खुशी देने के लिए शहर पहुंच गई है।
कुमर पाल घबरा जाता है, कि पूरा 1 दिन हो गया दादी उस तक नहीं पहुंची थी।
मैं दादी और अपनी पत्नी पुत्री को कहां और कैसे ढूंढे। वह पूरी रात और दिन उनको ढूंढता है। पर वह कहीं नहीं मिलते फिर कुमरपाल एक पार्क में जाकर बैठ जाता है।
उस पार्ककी दोनों सीट आगे पीछे जुड़ी हुई थी। पीछे से किसी छोटे बच्चे की नन्ही नन्ही उंगलियां उसके कंधे पर आकर टच होती है। कुमरपाल पीछे मुड़कर देखता है तो खुशी से पागल हो जाता है। उसकी दादी पत्नी और उसकी पुत्री थी। और वह छोटी छोटी नन्ही नन्ही नन उंगलियां उसकी पुत्री की ही थी
Milind salve
07-Oct-2022 05:36 PM
बहुत खूब
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Mohammed urooj khan
06-Oct-2022 06:02 PM
👌👌👌👌
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Seema Priyadarshini sahay
06-Oct-2022 05:21 PM
बेहतरीन
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