विषय:-व्रत
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नवरात्रि में मैं व्रत लेता हूं बुरी आदतें छोaड़ूंगा।
नियम, धर्म से सदा चलूंगा कोई नियम ना तोड़ूंगा।।
नहीं दुखाऊं किसी के दिल को कष्ट नहीं पहुंचाऊंगा।
सबके दुखों को समझ के अपना हाथ बंटाने जाऊंगा।।
पथिक हूं मैं सद् मार्ग पर चलकर राहों को सरल बनाऊंगा।
राहों में कांटे जो मिले तो उनको भी मैं चुन लाऊंगा।।
वाणी को अपनी मधुर बना प्रेम के गीत मैं गाऊंगा।
वाणी से किसी को कष्ट हुआ तो क्षमा मांगने जाऊंगा।।
मां की यदि कृपा जो मिल जाए तो सबके कष्ट मिटाऊंगा।
भूखा यदि कोई आ जाए तो खाना भी उसे खिलाऊंगा।।
आज ये व्रत मैं लेता हूं अपना अभिमान मिटाऊंगा।
अहंकार को दूर भगा मैं सबके काम में आऊंगा।।
मां मुझको ऐसा वर दे मैं सबकी सेवा कर पाऊं।
मां मुझको सबसे छोटा कर दे आशीष सभी से ले आऊं।।
मां मेरी एक चाहत है सब भक्त तुम्हारे सुखी रहें।
राग, द्वेष को छोड़ सभी प्रेम से मिल कर सब सुखी रहें।।
व्रत लेना ही है तो यह लेना, हम बुरे कर्म ना कभी करें।
जिन कर्मों से किसी को दुःख पहुंचे उन कर्मों से दूर रहें।।
नवरात्रि हम ये व्रत ले लें नौ बुरी आदतें छोड़ेंगे।
आज से अपने कर्मों में नौ अच्छे काम हम जोड़ेंगे।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
आँचल सोनी 'हिया'
07-Oct-2022 05:35 PM
Bahut khoob 💐👍
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Milind salve
07-Oct-2022 05:09 PM
बहुत खूब
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Suryansh
07-Oct-2022 03:28 PM
संदेश देती हुई कविता
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