Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय मुंशी प्रेम चंद

उपन्यास सम्राट ,समाज के संवेदनशील अछूते कोनों को अपने हृदयस्पर्शी शब्दों से जनजन तक पहुँचने वाले श्रद्धेय मुंशी प्रेमचंद जी को पुण्यतिथि पर शत शत नमन 
🌹🌹🌹🌹🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹

विचारों में सागर सी गहराई
व्यापकता अम्बर सी थी
संवेदी हृद पहुँचा जनजन तक
शीतलता तरुवर की थी

उपन्यास सम्राट का सफर
नहीं रहा होगा आसान 
रहे परिस्थितियों से लड़ते
झुकने दिया न स्वाभिमान 

हो समस्या किसानों की
या छुआछूत की बीमारी
जमींदारी औ अंग्रेजियत पर
चलाई शब्दों की आरी

सरल जन भाषा में दर्द 
हर तबके का कह जाते थे
आँसू भर लाये आँखों में
शब्द हृदय को गह जाते थे

कलम के इस सिपाही की
मुट्ठी भर ही जरुरत थी
एक कुर्ता धोती और चप्पल
जैसे सादगी की मूरत थी

मानक स्थापित किये जो तुमने
उन तक कोई पहुँच न पाये
गागर में सागर भरने का
हुनर भला कहाँ से पाये

जनमानस संवेदनाओं के प्रतिनिधि कर्मठ लगनशील अंतिम श्वास तक साहित्य को समर्पित उपन्यास सम्राट श्रद्धेय प्रेमचंद जी को कोटि कोटि नमन 🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹

सुनीता गुप्ता "सरिता"कानपुर 

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8 Comments

Supriya Pathak

11-Oct-2022 06:39 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Suryansh

11-Oct-2022 09:01 AM

बहुत ही सजीव चित्रण

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Pratikhya Priyadarshini

08-Oct-2022 11:18 PM

Bahut khoob likha hai 💐🙏🌺

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