ख़ामोशी
मैंने खुद
को
जब
भी
देखा
है
,
बहुत खामोश पाया है .
बहुत
उदास पाया है
बहुत
लाचार देखा है .
उदासी
का सबब बनी दुनिआ ,
मैंने
दुनिआ को अजीब पाया
है
मैंने खुद
को
जब
भी
देखा
है
बहुत खामोश पाया है
ना
जाने क्यों खुश रहने पर मजबूर करती
है
मैंने
मज़बूरी को फिर गले
लगाया है
मेरा
मक़सद नहीं किसी को ठेस पोहचांना
ना
जाने क्यों तब भी मेरा
नाम आया है
मैंने खुद
को
जब
भी
जब
भी
देखा
है
बहुत खामोश पाया है
मेरी
परवरिश नहीं किसी को मायूस कर
देना
मेरी
खुदा ने मुझे बहुत
मजबूत बनाया है
मैंने खुद
को
जब
भी
देखा
है
बहुत खामोश पाया है ,
बुशरा मरयम
Reena yadav
07-Apr-2024 11:16 PM
🤍
Reply
Shashank मणि Yadava 'सनम'
19-Aug-2022 06:27 PM
लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब लाजवाब
Reply
Abhinav ji
07-Jan-2022 08:35 AM
Nice
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