Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय आजादी की यादें

आजादी की यादें///
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जिस गुलामी की जंजीर से भारत माता जकड़ी थी जिस आजादी की चाह में महिलाओं ने बापू की राह पकड़ी थी वह जंजीर अब टूट गई बापू का साया अब छूट गया उस जंजीर की याद नहीं मिटेगी बापू की कुर्बानियां नहीं भूलेंगे जितनी लड़कियां थी और जंजीर में उससे कहीं ज्यादा हथौड़े थे उस चमन में जब हिंसा थी गोलियां चली थी तब अहिंसा की लाठियां बरसाई थी जब भारत में अंग्रेजों की कैद में थी तब आजादी की चाह वतन को थी जब गौरो ने स्त्रियों का सिंदूर छीना था तब चमन की धड़कनों ने गौरव को गिना था फिर एक-एक कर मारा था और भारत का यह नारा था जय हिंद जय जवान जय किसान कभी न मिटने देंगे भारत की शान।
 सुनीता गुप्ता कानपुर उत्तर प्रदेश।

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9 Comments

Suryansh

12-Oct-2022 05:01 PM

बहुत ही उम्दा और सशक्त लेखन

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Supriya Pathak

11-Oct-2022 06:25 PM

Bahut khoob 💐👍

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Very nice 👍👌

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