Fiza tanvi

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शायरी

महज़ हुस्न से ही नही कोई दीवाना होता है. 
कभी कभी मज़ीद लम्बी गुफ़्तगू भी 
दीवानगी का सबब बन जातीं है. 


ऐसा नही है. 
के मुझे यकीन नही खुद पर . 
मगर कभी कभी खतरनाक रास्तो  से बेखौफ होकर गुज़रना सझदारी नही होती...  



हस्ती खेलती ज़िन्दगी है. 
गम का नाम ओ निशान नही है. 
ले भी ले गर मर्ज़ ए आशिक़ी. 
मगर इसकी कोई दवा नही है. 


जलती रहे शमा तो परवाना साथ हो जाता है 
बुझ जाये अगर तो. 
ख़ाक हो जाता है. 
मोहबत के भी कुछ ऐसे ही उसूल है. 
मिल जाये मेहबूब तो मसला नही किसी को. 
ना मिले तो उम्र भर का दाग़ रह जाता है.  


कोई जल कर बुझा और कोई 
बुझ कर ख़ाक हो गया.   
जो समझ जाए इस पहेली को. 
समझो वो आबाद हो गया. 


शाम का इन्तिज़ार. 
कल की मुलाक़ात पर गर्क 
और कल की मुलाक़ात.  
मुलाक़ात ना हो सकने का बवाल हो गया 
जो पढ़ा इस चक्कर मे दोस्त. 
वो मरने से पहले ख़ाक हो गया. 



   .                  फ़िज़ा ✍️✍️

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6 Comments

Sachin dev

30-Mar-2022 10:05 PM

Wah

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Bht khoob fiza

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Aliya khan

26-Aug-2021 03:28 AM

Nice

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