ज़िंदगी का सफर - 💞हमसफ़र के साथ💞 "भाग 2"
इवान किआरा को अपने साथ अपने घर ले आता है एक नये सफर की शुरुआत करने किआरा को अपना हमसफ़र बनाकर ।
गाड़ी आकर एक बड़े से घर के मैन गेट के सामने रुकी, वहा के वॉचमैन ने मैन गेट खोला तो कार घर के सामने बने गार्डन से होते हुए घर के गेट के सामने रुकी और अंदर से दो लड़किया आई, वो दोनो लड़किया इवान की बहन थी, एक उसकी बहन आध्या थी ओर दूसरी उसकी चचेरी बहन आन्या, उन दोनों ने इवान और किआरा को उस कार से नीचे उतार कर दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया
अंदर से कुछ औरते आई, जिस औरत की हाथ मे आरती की थाल थी वो इवान की माँ और किआरा की सास सुमित्रा जी थी, ओर उनके साथ आती हुई औरत इवान की चाची पायल जी थी
सुमित्रा जी ने आकर इवान और किआरा दोनो के माथे पर तिलक कर आरती उतारी ।
शीतल जो उनके घर की नौकरानी थी उसने किआरा के सामने चावल से भरा कलस रख आलते की थाल को रखकर एक साइड हो गई, फिर सुमित्रा जी बोली
सुमित्रा जी :- बेटा अब इस कलस को अपने दाहिने पैर से गिराकर इस आलते की थाल में पैर रखकर अपने पेरो की छाप छोड़ते हुए अंदर आ जाओ
किआरा ने चावल से भले कलस को अपने दाए पैर से हलके से गिराकर अपने पैर आलते की थाल में रखे तो वो थोड़ा लड़खड़ा गई लेकिन इवान ने उसका हाथ पकड़ कर संभाल लिया था, इवान और किआरा की नज़रे दो पल के लिए मिली पर दोनो जल्दी ही सम्भल गये और आगे बढ़ गये, सुमित्रा जी उन्हे घर में बने मंदिर में लेकर गई और भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए कहा तो इवान और किआरा दोनो ने भगवान को प्रणाम किया
पायल जी अपने हाथ में हल्दी वाले आलते की थाल लेकर आई और किआरा के सामने करते हुए वोली
पायल जी :-बेटा अब आप इस हल्दी वाले थाल मैं दोनो हाथो को रखकर अपने हाथो के छाप यहां इस दिवार पर लगा दो।
किआरा ने अपने दोनो हाथो को उस हल्दी वाले थाल मे रखा और मदिर की दिवार पर अपने दोनो हाथो के छाप छोड़ दिए और आध्या ने फिर पानी से हाथ धुलवा कर हाथो की हल्दी साफ करवा दी फिर उन दोनो को अपने साथ लाकर हॉल मे आमने सामने बैठाकर उनके बीच दूध से भरा बर्तन रख दिया अंगूठी ढूंढ़ने वाली रश्म के लिए, आन्या अपने हाथ में अंगूठी दिखाते हुए बोली
आन्या :-
आन्या :- भाई भाभी अब मैं इस बर्तन में ये अंगूठी डालूंगी और आप दोनो को अंगूठी ढूंढ़नी है, जो सबसे ज्यादा ढूंढेगा वो जीत जायेगा और सामने वाले पर राज करेगा😉
आध्या :- अब देखना ये बनता है की कौन किस पर राज करता है, भाई भाभी पर करते है या भाभी भाई पर😜
ये बोलकर आन्या और आध्या दोनो एक दूसरे को हाय फाय देते हुए हस दी तो सभी औरते उनकी बाते सुनकर हस दी
आन्या ने अंगूठी बर्तन में डाल दी तो इवान और किआरा दोनो ही अंगूठी को ढूंढ़ने लगे
आध्या :- कम ऑन भाभी आपको ही जीतना है, आप भाई से हार नहीं सकती
अध्विक ( इवान का छोटा भाई ) :- कम ऑन भाई आपको ही जीतना है, जल्दी ढूंढो भाई
आरव ( इवान का चचेरा भाई ) :- यस भाई कम ऑन आपको ही जीतना है
आध्या और आन्या किआरा की साइड से बोल रहे थे तो अध्विक और आरव इवान की साइड से ।
लेकिन इन सब से अलग इवान के मन में अपनी पिछली शादी की रश्मे घूमने लगी थी इसी तरह हसी मजाक के साथ ही तो उसकी और अनु की रश्मे हुई थी, तब वो और अनु कितने खुश थे इन रश्मो को करते हुए लेकिन इस बार उसके चेहरे पर खुशी की जगह गम की रेखाएं थी
और किआरा तो बस एक गुड़िया की तरह सारी रश्मे करती जा रही थी
पहले राउंड में किआरा को अंगूठी मिली और दूसरे राउंड में इवान को, तीसरे राउंड के लिए जैसे ही आन्या ने अगूंठी बर्तन में डाली उनके कानो में दो छोटे छोटे बच्चों के रोने की आवाजे आई जो पास ही रखे पालने में सो रहे थे लेकिन शोर के कारण उनकी नींद खुल गई और दोनो रोने लगे
इससे पहले की इवान या कोई और उठ भी पाता किआरा फ़ौरन उठी और अपने हाथ पास रखे पानी के बाउल में धोते हुए जल्दी से दोनो बच्चों के पास गई और दोनो को अपनी गोद मे लेकर लोरी गाते हुए सुलाने लगी, सभी बच्चों के प्रति किआरा की ममता देखकर मुस्कुरा दिए और इवान के दिल को एक शांति मिली की उसने ये शादी अपने बच्चों को माँ का प्यार मिल सके इसलिए की थी, अब उन्हे माँ का प्यार मिलेगा किआरा के रूप मे ।
इवान भी किआरा के पास गया और उसके हाथ से एक बच्चे को ले लिया और सुलाने लगा, सभी इवान और किआरा को देखकर मुस्कुरा दिए क्युकी दोनो साथ मे बच्चों के साथ बहुत प्यारे लग रहे थे , आध्या ने फोटोग्राफर से बोलकर उनकी फोटो निकलवा ली ।
जब दोनो बच्चे सो गये तो किआरा और इवान ने दोनो को पालने मे सुलाया और सभी के सामने जाकर सर झुका कर खड़े हो गये क्युकी दोनो बीच रश्म से जो उठ गये थे, उन्हे ऐसे देख सुमित्रा जी सामने आई तो इवान बोला
इवान :- आय एम सॉरी माँ रश्म के बीच मे ही उठने के लिए
सुमित्रा जी :- कोई बात नहीं बेटा ये रश्म तो सिर्फ युही एन्जॉयमेंय के लिए थी, लेकिन तुम दोनो ने साबित कर दिया की शादी का मतलब अपने साथी पर राज करने से नहीं होता बल्कि अपने साथी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होता है, अपने साथी के सभी रिश्तो को अपना मानकर चलना होता है और ये किआरा ने साबित कर दिया, तुम्हारे दोनो बच्चों को अपना मानकर की उसने इस रिश्ते को दिल से मान लिया है और तुमने भी उसका साथ दिया ।
सुमित्रा जी की बात सुनकर इवान ने किआरा की तरफ देखा और फिर दोबारा नीचे देखने लगा
थोड़ी देर बाद सुमित्रा जी ने किआरा को आराम करने के लिए आध्या और आन्या के साथ भेज दिया और इवान अपने रूम मे चला गया, सुमित्रा जी और पायल जी ने दोनो बच्चों को पालने से उठाया और उन्हे अपने साथ सुमित्रा जी के रूम मे लेजाकर सुला दिया
रात भर जागने और इतनी सारी रश्मो के कारण किआरा और इवान दोनो को नींद आ गई और दोनो ही सो गये ।
और सारे घर वाले भी थोड़ी देर आराम करने के लिए अपने अपने रूम मे जाकर सो गये
शाम को किआरा की मुँह दिखाई की रश्म रखी गई थी ।
To be continued................
Miss Chouhan
11-Nov-2022 11:13 AM
Nice story 😊😊😊
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Seema Priyadarshini sahay
10-Oct-2022 06:22 PM
बेहतरीन
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Chetna swrnkar
10-Oct-2022 06:08 PM
लाजवाब 👌
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