Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय अमर शहीद

अमर शहीद
//////////////////ना मैं हिंदू ना में मुस्लिम,
ना मैं सीखना में इस आई हूं।
हे मेरी भारत जननी,
उसकी एक सिपाही हूं।
जीती हूं तेरे लिए मां,
मर कर भी कल आऊंगी।
एक जन्म पर मिटना क्या,
सौ जन्म ले आऊंगी।
चाहे कांटे भरी हो मेरी जिंदगी,
फिर भी हंसकर फूल बरसाओ गी।
जलते हुए अंगारों पर चलकर,
मां की हर पल अच्छा कर जाऊंगी।
आंधी आया तूफान,
पीछे कदम ना हट आऊंगी।
तेरे कदमों में जान देकर,
अमर शहीद कहलाऊंगी।
सुनीता गुप्ता "सरिता"कानपुर

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6 Comments

Suryansh

12-Oct-2022 07:56 PM

बहुत ही उम्दा, उत्कृष्ट भाव

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Supriya Pathak

11-Oct-2022 06:16 PM

Bahut khoob 💐👍

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Raziya bano

11-Oct-2022 09:43 AM

Bahut khub

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