दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय दुनिया की कहानी
दुनिया की कहानी
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हां, बच्चों तुमको हम दुनिया की कहानी सुनाती हूँ ।एक लड़की थी उसका नाम दुनिया था ।सारी दुनिया के लोग उसे चाहते थे।उसकी उम्र ग्यारह साल की थी ।और बो पाँचवीं कक्षा में पढ़ती थी ।उसके पिताजी का नाम संसार था ।और उसकी माताजी का नाम जीवन था ।उसके तीन भाई थे।एक का नाम धर्म एक का नाम कर्म और एक का नाम मोक्ष था।जब बो अपने स्कूल पढ़ने जाती थी।तो उसके मास्टर लोग आगे बढ़कर उसका स्वागत करते थे।बड़ी अटपटी सी बात है एक पांचवी क्लास की लड़की थी उसके मास्टर लोग आगे बढ़कर उसका स्वागत करें।लेकिन ऐसा होता था।इसमे कोई अचम्भे की बात नही है।क्योंकि उसका नाम दुनिया था।सारे स्कूल के बच्चे उसे मुनिया मुनिया कहकर छेड़ते रहते थे ।इसके लिये सबको बहुत डांट पड़ती थी।मास्टरों से डांट खा खा कर बो ढीठ हो गए थे।लेकिन उसे छेड़ने से बाज नही आते थे।एक बार उसका भाई जिसका नाम कर्म था।बो एक पेड़ पर चढ़ गया था।उस पेड़ पर बड़े बड़े आम लगे हुए थे ।तो उसके बड़े भाई धर्म ने उसे टोका ,नीचे उतरो ,ये आम तुम्हारे लिये नहीं हैं।ये आम जिस व्यक्ति ने लगाए हैं ,उस पर उनका हक है।यदि तुम उसकी सेवा करोगे ,और बो खुश होकर तुम्हे अपनी इच्छा से अगर दो चार फल दे देता है।तब तुम उन फलों को लेने के हकदार हो सकते हो ।अन्यथा नही ।लेकिन बो नही माना बो तो ऊपर चढ़ा बैठा था ।और आम का फल तोड़ने वाला था ।ऐसी शरारतों में उसे बड़ा मजा आता था।उसके भाई ने उसे दो बार मना किया था ।इतने में वहां दुनिया भी आ गई दुनिया ने बोला भाई के अच्छी बात नही है।हमारे पिता श्री संसार चन्द और हमारी माता श्रीमती धरती व हमारे बड़े भाई श्री धर्म के अनुसार किसी की बिना आज्ञा के उसकी कोई वस्तु लेना अधर्म समझते हैं।ये एक प्रकार की चोरी होती है।ऐसे करते करते तुम्हे ऐसी चीजों की आदत पड़ जाएगी ।और तुम अपने नाम को सार्थक नही कर पाओगे ।कर्म नाम का वही व्यक्ति अच्छा होता है जो शुभ कर्म करे ।अन्यथा उसके किया हुए कार्य सभी के सभी बेकार चले जाते हैं।और उसको उसका दंड भुगतना पड़ता है।ऐसे कार्य अकरम कहलाते हैं।अर्थात इनकी कोई गिनती नही होती ।अपितु वे बुरी श्रेणी में आते हैं।और आगे चलकर कुछ व्यक्ति के प्रारब्ध बन जाते हैं।जो उनके भाग्य बन जाते हैं।फिर जन्मो जन्म तक उनका ऋण चुकाना पड़ता है।ये सब सुनकर कर्म बोला भाई धर्म और छोटी बहन दुनिया आज तुमने मेरी आंखें खोल दी ।मैं अभी नीचे आता हूँ।और तुम दोनों के चरणों मे सिर रखकर इस बात का प्रण लेता हूँ,कि मैं आगे से ऐसा कोई कार्य नही करूँगा जिसके कारण हमारी माता धरती पिता संसार बहन दुनिया बड़ा भाई धर्म को अपमान सहना पड़े ।और भविष्य मे मेरे किये गए कार्य प्रारब्ध बन जाये और बो मेरे फिर भाग्य के रूप मे मेरे सामने आये ।अब मुझे समझ मे आया कि मेरी बहन दुनिया को सभी मास्टर लोग आगे बढ़कर स्वागत क्यों करते हैं।
🌹स्वरचित सुनीता गुप्ता कानपुर ,उत्तर प्रदेश ।
दशला माथुर
14-Oct-2022 07:00 PM
बेहतरीन रचना
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शताक्षी शर्मा
14-Oct-2022 05:12 PM
Behtarin rachana
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shweta soni
14-Oct-2022 03:48 PM
Shandar rachana
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