Neelam gupta

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एक वेलेंटाइन ऐसा भी

एक वेलेंटाइन ऐसा भी
    (एक्सीडेंट के बाद)

बीस साल से मनाएं, सब दिन फीके हो गएं
आज के पल यों दिल को  छू गएं

वो तेरा सुबह मुझे हिलाना
गर्म पानी का गिलास थमाना
बिस्तर पर ही मेरा मल मूत्र करवाना
हर जरूरत मेरे पास पहुंचाना

गर्म चाय संग अपनी मुस्कुराहट दिखाना
और फिर मेरा झूठा कप उठाना
कितने ही पल छूते चले गएं
हम एक बार फिर से दिल हार गए

हर साल वो घुमना फिराना
महंगे गिफ्ट दिलाना
सब वे मायने हो गया
आज दिल सच में धड़क सा गया

नही पता प्यार के क्या मायने हैं
इस से जायदा लोग क्या चाहते हैं
ओर कोई क्या प्यार में करता होगा
खुद को झुका भी क्या कोई हस्तां होगा

थैंक्यू कह हल्का कर नही सकते
लौटा कर बराबरी नहीं करते
बस जी लेते है इन पलो को
ओर एक बार फिर खुद को
खुद से ही तुझे सौप देते हैं

नीलारु
❤️💕❤️




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