Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय समय

अपनों को ख़ुश रखने की हर कोशिश में
अपना कोई रूठ ही जाता है!
जितना भी कर लो कोशिश यार
हिसाब ये बिगड़ ही जाता है!
अपनों को एक साथ रखते रखते
अपना कोई छूट ही जाता है!
जितना भी कर लो सबसे प्यार बराबर यार
फिर भी अपना कोई रूठ ही जाता है!
सबकी ख्वाहिशें पूरी करूँ
कोई नाराज़ ना हो
हर पल यही कोशिश करूँ
इंसान ही तो हूं यार
और कितना मैं क्या क्या करूँ!
जितना भी कर लो कुछ भी यार
हिसाब ये कुछ न कुछ बिगड़ ही जाता है।                  🌹🌹प्रातः वन्दन 🌹🌹
सुनीता गुप्ता "सरिता"के

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8 Comments

Suryansh

16-Oct-2022 06:45 PM

लाजवाब लाजवाब

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बहुत ही सुंदर सृजन

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Bahut khoob 💐👍

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