लेखनी कहानी -12-Oct-2022
लेखनी प्रतियोगिता ' समय'
अजीब है ये जिंदगी...... समय ये कैसा आया है....
परीक्षाओं का दौर है, जाने जिंदगी है किस ओर ।
धुंधला है हर रास्ता, जाने मंजिल है किस ओर।।
सोचा नहीं था ये, जो हो रहा है अब। 2
हर आस है बिखरी - सी, सपने है टूटे सब।। 2
हम चल रहें हैं लेकिन, इक आशा की लेके डोर.......
धुंधला है हर रास्ता, जाने मंजिल है किस ओर......
अश्क भरें है, आंखों में। 2
फिर भी मिठास, है बातों में।। 2
बाहर फैला सन्नाटा, अन्दर है कुछ शोर...........
( स्वरचित: संध्या मिश्रा)
(महु, इंदौर, मध्य प्रदेश)
Suryansh
16-Oct-2022 07:05 PM
बहुत ही उम्दा और सशक्त रचना
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Ilyana
13-Oct-2022 07:33 PM
Nice
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Teena yadav
13-Oct-2022 03:21 PM
👍👍
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