लेखनी प्रतियोगिता -13-Oct-2022

*प्रतियोगिता*
विषय:- सुहागन
शीर्षक:- सुहागन की शुभकामना
विधा:- गीत

चिरंजीवी हो पति,
  हर- सुहागन चाहती है । 
हर-सुहागन चाहती है ,
     तो हर सुहागन चाहती है। 
1
हो सती द्रोपदी या हो सीता सती । 
काम की कामिनी वो रमणीय रती।
मैं जब तक रहूँ तब तलक हो पती, 
हो सदा सर्वदा निज पति में रती। 
हो पतिपद अनुरागी, 
       अनुरागिन चाहती है। 
2
नैनो में समाया नैनो का नूर हो। 
नूर नैनो का नैनो से नहीं दूर हो । 
रहे पांवन महावर व चुटकी सदा, 
और माथे पर चमकता सिंदूर हो। 
पति विपदा न कोई ,
        अभागन चाहती है। 
चाहे कितना भी श्रृंगार चांद करवा ले। 
मेरे चांद से ना सुंदर तू बिन कर वाले। 
मेरे चांद को चांद तेरी नजर ना लगे ,
मैं इसीलिए पूँजती हूं कर में करवा ले। 
खुशियों से खिलखिलाता ,
             आंगन चाहती है। 

विनोदी महाराजपुर

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7 Comments

Suryansh

16-Oct-2022 07:08 PM

लाजवाब लाजवाब

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बेहतरीन

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Punam verma

14-Oct-2022 08:53 AM

Nice

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