लेखनी कहानी -13-Oct-2022

( करवा चौथ के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं) 

सदा सुहागन

चंचल चितवन चंद्रवदनि तुम, 
    चंद्र वदनि क्यों देख रहीं। 
अपने चांद को नभ के चांद से, 
  क्यों कर कमतर लेख रहीं। 
तेरी आभा पर अर्पित हैं, 
   लाखों लाख चंदा तारे। 
तेरे आगे तो लगते हैं, 
  फीके मुझे नजारे सारे। 
तेरे पास चाँद हैं तेरा, 
   चाँद का न इंतज़ार करो।
करवा चौथ का चाँद नहीं, 
 बस अपने चाँद से प्यार करो। 
साजन सजनी सदा सुखी हो, 
   बंधे प्रेम की डोरी में। 
रहे परस्पर प्रीत पावनी, 
     जैसे चाँद चकोरी में। 
राम करे कि मेरी सुहागन, 
     सदा सुहागन रावे। 
माथे बिंदिया पाँव महावर, 
     सिर सिंदूर सजावे।
सजनी का श्रृंगार अमर हो, 
     सदा सर्वदा सुख पाये। 
लाल ही फरिया लाल चुनरिया, 
   लाल ही डोली चढ़ जाये।

विनोदी महाराजपुर

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8 Comments

Suryansh

16-Oct-2022 07:19 PM

बहुत ही उम्दा और खूबसूरत भाव

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Suryansh

16-Oct-2022 07:19 PM

लाजवाब लाजवाब

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Swati chourasia

13-Oct-2022 09:01 PM

वाह बहुत ही बेहतरीन रचना 👌👌

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