प्रायश्चित
*प्रतियोगिता*
पीढ़ियों के पाप
प्रायश्चित
गीत
हमने किये जो पाप प्रयश्चित करना होगा।
और पीढ़ियों मूल्य उन्हीं का भरना होगा ।
1-
भूल गए हैं संस्कृति सारी सारे मानव मूल्य भुलाए।
आधुनिकता की चकाचौंध में पश्चिम की संस्कृति अपनाएं ।
कंक्रीट के अभ्यारण में हमको पल पर मरना होगा।
2-
हाय हेलो के इस चक्कर में नमस्कार प्रणाम हैं भूले।
गुड मॉर्निंग तो करते सारे करना राम राम हैं भूले।
भूल गए यदि शान शिवा की तो सियारों से डरना होगा।
3-
दादा दादी नाना नानी नाते रिश्तेदार विसारे।
हम दो और हमारे दो में बिखर गए परिवार हैं सारे।
स्विमिंग पूल तू होंगे लेकिन ना ही निर्मल झरना होगा।
4-
भूल गए हैं भोर की लाली लगने लगी है रातें काली।
रक्षाबंधन भूल गए हैं भूल गए होली दिवाली ।
भूल गए जो भौतिकता में उन पर कोई असर ना होगा।
5-
भारत की इस भव्य भूमि आओ फिर से स्वर्ग बनाएं।
आर्यवर्त के आर्य कुलों की आर्य परंपरा अब अपनायें।
अगर ना सम्हले अभी विनोदी फिर ना कभी सम्हरना होगा।
के एल सोनी विनोदी
महाराजपुर
जिला छतरपुर मप्र
Suryansh
20-Oct-2022 06:45 AM
उम्दा सृजन,,,, यथार्थ चित्रण आज के परिवेश का
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Raziya bano
14-Oct-2022 04:22 PM
Nice
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Muskan khan
14-Oct-2022 03:38 PM
Well done ✅
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