Amar Singh Rai

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लेखनी कहानी -14-Oct-2022

                       " दाम्पत्य पर एकाधिपत्य "

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           दुनियाँ के सारे रिश्ते प्रेमाश्रय पाकर ही पनपते हैं। प्रेम रूपी पौधा बहुत जल्दी पनपता है। किन्तु यदि उस पर समय समय पर चाहत रूपी बारिश न हो तो ये उपेक्षा रूपी धूप से सूख भी बहुत जल्दी जाता है। कुछ रिश्तों को शब्दों में बाँधा नहीं जा सकता। उन्हें परिभाषित करना मुश्किल होता है क्योंकि ऐसे रिश्ते खून के नहीं होते। ऐसे रिश्ते में बँधे लोगों को हर कदम पर एक नया अनुभव होता है। जी हाँ, यह रिश्ता है सच्चे दोस्त, और पति-पत्नी का। खुशहाल वैवाहिक जीवन की इस नाजुक सी डोर को सँभालने का हर तरह से जतन करते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी कई बार शादीशुदा जिंदगी में कई तरह की परेशानियाँ, मनमुटाव आकर खड़ी हो जाते हैं। सुखी वैवाहिक जीवन जीने के लिये, महत्वपूर्ण है कि आपका जीवन साथी, जैसा है वैसा उसे स्वीकार करें। सभी की मान्यताएँ, सोचने का तरीका, अभिप्राय, दृष्टिकोण अलग होता है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि दो व्यक्ति के विचार एक जैसे नहीं होते। हम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि विवाह दो अलग-अलग मान्यताओं वाली आत्माओं का मिलन है। 
            स्त्री-पुरुष के बीच का प्रेम या व्यवहार ही दाम्पत्य कहलाता है। वैवाहिक जीवन कहने के लिए तो बड़ा आकर्षक और संपूर्णता से परिपूर्ण जीवन होता है। लेकिन यह जीवन तभी सुखदायक होता है जब पति-पत्नी के बीच सामंजस्य, अटूट प्रेम, विश्वास, आपसी समझ हो। वर्ना वैवाहिक जीवन कड़वाहटों से भरपूर हो जाता है। मानसिकता भिन्न होने के कारण जीवन में होने वाली समस्याओं को सुलझाने में पति-पत्नी का एक मत नहीं होता। यही मतभेद उनके जीवन में क्लेश को जन्म देता है, जिसके परिणाम स्वरूप वैवाहिक जीवन दुःखभरा हो जाता है। कई बार कुछ लोगों के वैवाहिक जीवन में अचानक से सुख-शाँति गायब हो जाती है और पति-पत्नी के बीच बात-बात पर तकरार होने लगती है। और इस टकरार के कई कारण हो सकते हैं जैसे पति का जुआरी, एवम् नशेबाज होना। यदि पति में ये दुष्प्रवित्त हैं तो दाम्पत्य जीवन कभी सुखमय नहीं हो सकता।
                 कभी-कभी पति-पत्नी के बीच एकाधिपत्य और तानाशाही भी तनाव का कारण बनती है। यह कोई जरूरी नहीं है कि पुरुष द्वारा ही एकाधिपत्य दिखाया जाता है जो दोनों के दाम्पत्य जीवन में कड़वाहट पैदा करता है। पत्नी द्वारा स्वाधिपत्य अर्थात परम स्वतंत्र रहने की अवस्था के कारण भी घर परिवार में विघटन पैदा होता है। एक आदर्श पति-पत्नी के रिश्ते में साथी एक-दूसरे की सोच का अनादर नहीं करते। दोनों के रिश्ते में एक दूसरे के लिए सम्मान होना चाहिए। पति-पत्नी के रिश्ते में सबसे जरूरी होता है एक दूसरे को प्यार करना। अकाधिकार की अधिकता जिसे हम अत्त भी कह सकते हैं किसी की भी हो, यह अलगाव को जन्म देती है। पति पत्नी को प्रापर्टी न समझें, और न पत्नी पति को गुलाम।पति-पत्नी एक ही गाड़ी के दो पहिए हैं जो एक दूसरे के पूरक हैं, एक के बिना दूसरा अधूरा है। पति-पत्नी का मन यदि एक और नेक नहीं है तो मन में वो भावना आ ही नहीं सकती जो आनी चाहिए। वरना तो पतिव्रता नारी में यमराज से सत्यवान के प्राण वापिस लाने की ताकत है।

मौलिक/
                   अमर सिंह राय
                       आलेखक
            आकाशवाणी छतरपुर,म.प्र.


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13 Comments

Pratikhya Priyadarshini

18-Oct-2022 01:14 AM

Achha likha hai 💐

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Abeer

17-Oct-2022 12:26 PM

Behtarin rachana

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Sadhna mishra

16-Oct-2022 03:52 PM

Behtarin rachana

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