Kalpna Chouhan

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ज़िंदगी का सफर - 💞हमसफ़र के साथ💞 "भाग 11"

सभी अंदर जाकर सोफे पर बैठे ही थे की तभी उन्हे दरवाजे पर से आवाज आई, सभी ने पलटकर देखा तो हैरान के साथ साथ घबरा भी गये क्युकी दरवाजे पर इवान खड़ा हुआ था जिसके हाथ में कुछ पैकेटस थे और उसके साथ आध्या और आरव भी आये हुए थे, उन सबको लगा कही उन लोगो ने अभी अभी जो हुआ उसे देख सुन तो नहीं लिया😰
दिलीप जी ने आगे जाकर उनका स्वागत किया और उन्हे अंदर लाकर सोफे पर बैठाते हुए तन्वी से बोले 

दिलीप जी :- जाओ बेटा अपनी माँ को बुला लाओ और हा सबके लिए चाय नाश्ते का भी प्रबन्ध करो

तन्वी ने हाँ में सिर हिलाया और जाने लगी तो किआरा बोली

किआरा :- तनु रुक में भी तुम्हारे साथ चलती हु 

किआरा जाने लगी तो आध्या भी बोली साथ जाने की लेकिन दिलीप जी आध्या को रोकते हुए बोले

दिलीप जी :- अरे नहीं आध्या बेटा तुम यही बैठो अभी अभी तो आई हो थोड़ी देर हमारे साथ बैठकर बाते करो

किआरा :- आध्या आप यही बैठिये हम अभी आते है

आध्या ने हाँ में सिर हिलाया फिर आरव के पास जाकर बैठ गई और दर्श के साथ बैठा वन्या और उत्कर्ष के साथ खेल रहा था 

दिलीप जी इवान से बोले 

दिलीप जी :- बेटा आप यहां.... किआरा तो अभी अभी आई तो क्या आप उसे लेने आये है इतनी जल्दी

इवान :- नहीं पापाजी ऐसी बात नही है हम उन्हे लेने नहीं आये वो किआरा वन्या ओर उत्कर्ष के कुछ सामान भूल गई थी तो बस देने आ रहा था मे तो आरव ओर आध्या ने जिद की तो उन्हे भी ले आया ।

दिलीप जी :- ओके बेटा ओर बताइये घर पर सब कैसे है 

इवान :- जी सब ठीक है 

इवान ओर दिलीप जी युही बाते करने लगे, वही आरव, आध्या ओर दर्श उत्कर्ष ओर वन्या के साथ खेल रहे थे, आरव ने उत्कर्ष को अपनी गोद मे लेना चाहा लेकिन उसके हाथ से उत्कर्ष गिरने लगा तो आध्या ओर दर्श दोनो ने जल्दी से आगे बढ़कर उत्कर्ष को संभाल लिया लेकिन उत्कर्ष को संभालने के चक्कर मे दर्श ओर आध्या के हाथ फस गये और वो दोनो ही इससे असहज हो गये कयुकि दर्श के दोनो हाथ उत्कर्ष के पीठ पर थे और आध्या ने उत्कर्ष को गोद लिया हुआ था जिससे दर्श के हाथ आध्या के हाथ के निचे दब गये, उसने अपने हाथ निकालने की कोशिश की लेकिन ऐसा करने से उत्कर्ष गिर जाता इसलिए उन्होंने आरव से उत्कर्ष को आराम से उठाने को कहा तो आरव ने उत्कर्ष को गोद मे उठाकर उसे वापस सुला दिया, आध्या और दर्श ने अपना हाथ हटाना चाहा लेकिन आध्या का ब्रेसलेट दर्श की घड़ी में फस गया, आध्या उसे हड़बड़ी में निकालने लगी तो दर्श बोला 

दर्श :- आप रुकिए मैं निकाल देता हु अगर आप ऐसे ही हड़बड़ाती रहेगी तो आपका ब्रेसलेट और मेरी घड़ी दोनो ही टूट जाएगी 

दर्श की बात सुनकर आध्या ने अपना हाथ हटा दिया तो दर्श उस ब्रेसलेट को निकालने की कोशिश करने लगा, लेकिन जब बार बार कोशिश करने पर भी नहीं निकला तो दर्श ने अपने हाथ से घड़ी निकाल कर आध्या के हाथ में देते हुए बोला

दर्श :- ये ऐसे नहीं निकलेगा इसे आराम से निकलना पड़ेगा आप बाद में निकाल कर दे दीजियेगा 

आध्या कुछ बोलती तब तक किआरा आ गई चाय और स्नैक्स लेकर, तन्वी भी गौरी जी के साथ आई और इवान, आध्या और आरव से अच्छे से बाते करने लगी, गौरी जी आध्या और आरव से बोली

गौरी जी :- अच्छा आध्या बेटा तुम्हारी और आरव की पढ़ाई कैसी चल रही है

आध्या :- जी ऑन्टी जी हमारी और आरव की पढ़ाई अच्छी चल रही है 

गौरी जी :- सुमित्रा बहन, पायल बहन, माजी ( दादी ) और बाकी सब घर में कैसे है

आध्या :- घर पर सभी ठीक है 

दिलीप जी गौरी जी के पल पल बदलते रंग को देखकर मन में सोचने लगे ( गिरगिट भी इतनी जल्दी रंग ना बदलता होगा गौरी जी जितनी जल्दी आप बदलती है, मैने आपसे शादी ये सोचकर की थी की मेरी बच्ची को माँ का प्यार मिल जायेगा लेकिन मैं गलत निकला, इसलिए मैं ये कभी नहीं चाहूंगा की मेरी बेटी आपकी तरफ निकले, बल्कि वो अपनी माँ ज्योति जी जैसी निकले जो हर पराये को भी अपना बना लेती थी, जो इतनी परोपकारी और ममतामयी थी की आपको भी उन्होंने सहारा दिया और मुझसे जाते जाते ये वचन लेकर गई की मैं आपसे शादी करु, ताकि हमारी बेटी को माँ के प्यार से बांछित ना रहना पड़े, लेकिन आपने तो उनके जाने के बाद मुझसे शादी करते ही अपने असली रंग दिखा दिये और मुझे भनक भी ना लगने दी, अगर उस दिन मैने वो सब ना देखा होता तो मेरी बच्ची कभी मुझे बताती ही नहीं, और ना ही मुझे आपकी असलियत पता चलती, लेकिन मेरी मजबूरी की दर्श और तन्वी को अपने साथ रखने के कारण आपको कुछ बोल भी नहीं सकता था, क्युकी मुझे याद है आपकी वो धमकी जो अपने मुझे दी थी की अगर मैने आपको तलाक दिया तो आप दर्श और तन्वी को लेकर आत्महत्या कर लेंगी, मेरी मजबूरी ने मेरी बेटी को खामोश कर दिया था लेकिन मैने उसे कितनी ही बार इस खामोशी को तोड़ने के लिए कहा पर वो कुछ ना बोली बस चुप चाप सहती रही ) ये सब सोचकर दिलीप जी की आँखे नम हो गई 

कुछ देर और थोड़ी बाते करते हुए इवान ने जाने की इजाजत मांगी तो तन्वी और दिलीप जी ने बोलकर आध्या को जबरदस्ती रोक लिया तो इवान आरव को लेकर चला गया ।
किआरा, तन्वी और आध्या, वन्या और उत्कर्ष को लेकर किआरा के रूम में आई और किआरा ने दोनो बच्चों को बेड पर आराम से सुलाया और दोनो को थपकी देने लगी, साथ ही साथ तन्वी और आध्या से बाते करने लगी, उन तीनो को देखकर ऐसा लग ही नहीं रहा था की ये तीनो कुछ समय पहले मिली है, वो सभी पुराने दोस्तों की तरह गपशप करने में लग हुई थी और एक दूसरे की टांग खींचाई कर रही थी 
दर्श किआरा के रूम में आया तो उन तीनो को बाते करते देख वो वापस जाने के लिए मुड़ा था की तभी उसके कानो में आध्या की हंसी सुनाई दी जो तन्वी की किसी पर बात हस रही थी, वो रूककर एकटक आध्या को देखने लगा, उसे थोड़ी देर पहले नीचे जो हुआ वो ध्यान आया की कैसे आध्या हड़बड़ा गई थी और साथ ही साथ शर्मा भी रही थी, ये याद आते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई तभी किआरा की नजर उसपर पड़ी तो वो दर्श को आवाज देते हुए बोली 

किआरा :- अरे दर्श  आप वहा दरवाजे पर खड़े खड़े क्यू मुस्कुरा रहे हो अंदर आ जाओ 

दर्श ( हड़बड़ाकर ) :- कु.... कुछ नहीं दी में तो युही आया था आप बाते कीजिये में फिर आ जाऊंगा 

दर्श पलटकर जाने लगा की किआरा ने उसे रोकते हुए रुको कहा ।







To be continued.................

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9 Comments

Miss Chouhan

11-Nov-2022 11:19 AM

Nice story 😊😊😊

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Supriya Pathak

18-Oct-2022 10:18 PM

Achha likha h

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Pratikhya Priyadarshini

18-Oct-2022 01:07 AM

Achha likha hai 💐

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