लेखनी प्रतियोगिता -16-Oct-2022 प्रतियोगिता हेतु कविता प्रेयसी की गुहार

प्रेयसी की गुहार

प्रीत अगर सच्ची है मेरी मुझको मीत बना लेना,
दिल में रख के स्वरित साधना गीत समझ तुम गा लेना।
 
मैंने दिल में तुझे बसाया तेरी मूरत की स्थापित, 
मेरे मन के परमेश्वर तुम अपनी जान बना लेना।

सांसो में तुम हो मन में हो तुम तुम ही हो मन मीत मेरे,
मेरी प्रीत को अपनी प्रीत दे इसको अमर बना लेना।

जीवन की परिभाषा तुम बिन कभी नहीं होगी पूरी,
कर सौहार्द की बारिश मुझ पर तन मन सरस बना देना।

जीवन में सुख दुख जब आए कठिन समय कंटक से भरा, 
खुद भी चलना पांव बचाकर शूल को कुसुम बना देना।

करना वफाएं सदा निभाना खडे़ सदा मुश्किल में रहना, 
मत में भेद भले ही आए मनभेदी न बना लेना।

अंधकार जब मुझको डराए मन की ज्योति जला देना,
'अलका' के हर पल ही साथ रह प्रेम रसधार बहा देना।

अलका गुप्ता 'प्रियदर्शिनी'
 लखनऊ उत्तर प्रदेश।
 स्व रचित  मौलिक व अप्रकाशित
 @सर्वाधिकार सुरक्षित।

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9 Comments

Suryansh

21-Oct-2022 07:14 AM

लाजवाब लाजवाब

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Palak chopra

19-Oct-2022 12:01 AM

Achha likha hai 💐

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Supriya Pathak

18-Oct-2022 10:14 PM

Achha likha h

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