गीत-उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
किसलिए यमदूत बनकर, ट्रक यहाँ चलने लगे हैं
मार देते हैं किसी को, इसलिए खलने लगे हैं।
हाय अब ट्रक ड्राइवर क्यों, पी रहे मदिरा यहाँ पर
और यातायात के भी, नियम अब टूटे वहाँ पर
चल रहे हैं बीच में जो, बहुत मस्ती में भरे हैं
और फिर भगवान से भी, वे नहीं बिल्कुल डरे हैं
आज कारों के हृदय पर, मूँग वे दलने लगे हैं
जो नियम पर चल रहे हैं, उन्हें भी छलने लगे हैं।
किसलिए यमदूत बनकर......
हो रही इतनी वसूली, छूट पीने की मिली है
इसलिए पूछे न कोई, किसलिए उनकी हिली है
हाय दुर्घटना घटेगी, औपचारिकता निभेगी
कौन रह सकता सुरक्षित, वेदना रोकर कहेगी
जो व्यवस्था को सँभालें, वे यहाँ फलने लगे हैं
और जिनके साथ बीती, हाथ वे मलने लगे हैं।
किसलिए यमदूत बनकर......
दब गए कितने सड़क पर, है नहीं उनका पता अब
हो गए वीरान जो घर, थी भला उनकी खता कब
कौन किसका हाल पूछे, मिट गई संवेदना जब
तिकड़मों का दौर फैला, और डूबीं सिसकियाँ तब
न्याय भी महँगा हुआ है, काम भी टलने लगे हैं
सह रहे अन्याय को जो, क्या करें गलने लगे हैं।
किसलिए यमदूत बनकर......
रचनाकार -उपमेंद्र सक्सेना एडवोकेट
'कुमुद -निवास'
बरेली (उत्तर प्रदेश)
मोबा.- 9837 ९४४१८७
Suryansh
21-Oct-2022 07:16 AM
यथार्थ चित्रण आज की परिस्थितियों का
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Suryansh
21-Oct-2022 07:16 AM
बहुत ही उम्दा और सशक्त रचना
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राजीव भारती
17-Oct-2022 12:23 PM
सुंदरतम सार्थक सृजन।
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