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लेखनी प्रतियोगिता -16-Oct-2022 मौन का सौन्दर्य



शीर्षक = मौन का सौन्दर्य



पापा, आपने कुछ कहा क्यू नही? दोनों चाचा ने हमारी सब चीज़ो पर कब्ज़ा कर लिया, आपने ही तो बताया था  कि अपना हक़ हमेशा लेना चाहिए , और उस घर और ज़मीन में हमारा भी हिस्सा था , आप भी तो दादा जी के बड़े बेटे हो, सोतेले हुए तो किया हुआ


आपने तो कभी उन्हें सौतेला समझ कर प्यार नही किया, आप तो हर दम उनके सगे भाई की तरह उनके साथ खड़े रहे , तो फिर आखिर क्यू हम लोग अपना सब कुछ छोड़ कर जा रहे है, बोलिये न पापा, आप इस तरह मौन धारण किए हुए क्यू है , अपना हक़ क्यू नही लेते, क्यू चाचा जी से बात नही करते कि आखिर किस हक़ से उन्होंने दादा जी का घर और ज़मीन का रातो रात सौदा करके हमें बेघर कर दिया। अब हम कहाँ जाएंगे।
समान बांध रहे  हरिकिशन जी से उनके बड़े  बेटे राहुल ने पूछा ।


हरिकिशन जी कुछ कहते तब ही उनकी पत्नि शीला अपने बेटे का साथ देते हुए बोल पड़ी  " जिन्हे जिंदगी भर आपने सगो की तरह प्यार किया, आज उन्ही की हाथो जलील होकर रह गए , आखिर आप कुछ बोलते क्यू नही? क्यू अपने दोनों भाइयो के आगे हथ्यार डाल कर खड़े हो गए, क्यू पिताजी की जायदाद में से हिस्सा नही माँगा? सोतेले ही सही  वो आप के छोटे भाई है , और छोटो को कोई हक़ नही पहुँचता की इस तरह अपने बड़ो को अपमानित किया जाए, ये हमारा घर है  मैं यहाँ बियाह कर आयी थी , इस घर से हमारी यादें जुडी है  और आपके भाई ने इसे रातो रात बेच दिया और आप मौन धारण किए हुए  है, कुछ कहते क्यू नही, मेरा भाई वकील है  आप कहे तो कोर्ट कचेरी चलते है , अपना हक़ तो लेना चाहिए न , हमारे भी बच्चें है  इस तरह तो नही छोड़ सकते सब कुछ , कल को हम उन्हें क्या देंगे सोचा है आपने  "


हरिकिशन जी अपने बेटे और पत्नि की बातें अब तक ख़ामोशी से सुन रहे थे , अब उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ी और बोले " नही हम लोग कोई कोर्ट कचेरी का चककर नही लगाएंगे, हम लोग एक शरीफ लोग है , हमें नही पड़ना इस कोर्ट कचेरी के झंझट में,

आप लोग सही कह रहे है  की अपना हक़  लेना हमारा फर्ज़ है , लेकिन जब सामने वाला हर चीज से मुकर जाए, उसके लिए रिश्ते से बढ़ कर पैसा हो जाए, उसका खून सफ़ेद हो जाए तो ऐसे आदमी से बहस करने से अच्छा है  की सामने वाला इंसान समझदारी दिखाते हुए  अपने आप को मौन रख ले और सब कुछ ईश्वर पर छोड़ दे, वो बेहतर इंसाफ करने वाला है , सामने वाला इंसान अपने झूठ और फरेब से दुनिया की नज़र में तो सच्चा बन सकता है , लेकिन वो जो ऊपर बैठा सब देख रहा है, उसकी नज़र में वो हमेशा एक गुनेहगार ही रहेगा  और एक न एक दिन उसको उसके गुनाहो की सजा मिलकर ही रहती है 


मैं नही चाहता की मेरे दोनों बच्चें इस माहौल में रहे , मैं एक  सीदा सादा शरीफ  आदमी हूँ, मैं खुद को इन लड़ाई झगड़ो से दूर रखना पसंद करता हूँ, क्यूंकि ये आपसी लड़ाई झगडे  नस्ले बर्बाद कर देती है , और कभी कभी पूरे खानदान की चिताये एक साथ जलती हुयी नज़र आती है और जिन घर और ज़मीन के पीछे वो लड़ कर मर गए होते है  वो सदियों तक वीरान पड़ी रहती है 


मैं नही चाहता की इन ज़मीन जायदाद के चककर में, मैं अपने परिवार के किसी सदस्य को खो दू , आप लोग ईश्वर पर भरोसा रखिए  देखना एक न एक दिन हमारे इन बच्चों के रूप में जब ये पढ़ लिख कर इस काबिल हो जाएंगे तो ईश्वर हमें स्वयं हमारा हक़ लोटा देंगे।


मैने अब तक तुम लोगो को मेहनत करके दो वक़्त की रोटी खिलाई है , ईश्वर ने चाहा तो आगे भी खिलाता रहूंगा  ताकि तुम लोग इस गंदगी से दूर रह कर अपने बाप दादा की जागीर  पर न रह कर अपनी मेहनत के दम पर  वो सब कुछ हासिल करना जो कुछ तुम्हे ईश्वर दे, लेकिन कभी भी किसी का हक़ नही मारना


और हाँ एक बात और तुम लोगो को बताता चलू  कभी भी जिंदगी में किसी ऐसे जाहिल, गँवार , झूठे इंसान से सामना हो जाए जो की सिर्फ अपनी ही बात कहता हो, दूसरे की कभी सुनता ही न हो तो ऐसे इंसान के सामने कुछ बोलने से अच्छा है,  की खुद को मौन रख कर वहाँ से निकल जाओ क्यूंकि बड़े बुज़ुर्गो की कहावत है  " एक चुप सौ को हराता है  "


इसलिए मौन का सौन्दर्य दिखाते हुए, वहाँ से मौन होकर निकलने में ही भलाई होती है , ऐसा नही की तुम बोल नही सकते  लेकिन बोलना वहाँ अच्छा होता है  जहाँ सुनने वाला आपकी बात को तर्जी दे, उसकी एहमियत को समझें , झूठे , मक्कार, फरेबी  इंसान के सामने बोलना व्यर्थ साबित होता है ।

अब आप लोगो को समझ आ गया होगा, की आखिर क्यू मैं बड़ा होते हुए भी  अपने छोटे भाइयों की हरकतों पर मौन धारण किए हुए था, क्यूंकि मुझे पता था  उनके सर पर पैसे का भूत संवार है  इसलिए उनके समक्ष अपनी बात रखना व्यर्थ ही साबित होगी


इसलिए आप लोग उदास न हो, हम लोग यहाँ से कही दूर चले जाएंगे, जहाँ इन ज़मीन जायदाद का कोई झंझट ही न हो, सब कुछ इनके हवाले किया, ये जाने और ईश्वर जाने हमें जो सही लगा हमने वही किया अब जल्दी से तैयार हो जाइये गाड़ी बस आती ही होगी, नयी जगह से नयी जिंदगी का आगाज़ करेंगे  और मुझे उम्मीद है  आप सब इस नयी जिंदगी का आगाज़ बहुत अच्छे तरीके से करेंगे , ये सब बातें यही भूल कर जाएंगे और अपनी मेहनत और काबलियत के दम पर इन सब को दिखा देंगे की मेहनत का निवाला खाने वाले बच्चें मेहनती ही बनते है, और जो अपने बच्चों को और खुद को हराम का निवाला खिलाते है  उनकी सारी नस्ले ख़राब हो जाती है ।


राहुल, उसकी माँ और उसकी पास खड़ी छोटी बहन तीनो ने ख़ुशी ख़ुशी अपने पिता का साथ दिया, और उस घर से जुडी उनकी बचपन की यादों को अपने सीने में दफन कर दिया और वहाँ से चले गए ।


हरिकिशन जी के छोटे भाइयों ने एक बार भी अपने सोतेले भाई को गले से नही लगाया जाते हुए  और वो वहाँ से रवाना हो गए ।


हरिकिशन जी एक जेंट्स टेलर मास्टर थे , उनके हाथ में एक अच्छा हुनर था, जिसके चलते  उन्होंने दिल्ली जैसे शहर में अपनी मेहनत के दम पर पहले काम किया फिर उसके बाद पैसे जोड़ कर खुद की दुकान खड़ी कर दी।


उनका बेटा पढ़ लिख कर कुछ सालों बाद नेवी में एक बड़ा अफसर लग गया और बेटी जिसे लिखना पसंद था  वो एक मशहूर लेखिका बन गई ।


वही दूसरी तरफ उनके दोनों छोटे भाई  बुरी तरह बर्बाद हो गए , उनके बच्चें भी  बुरी संगत में पढ़ कर सीगरेट और शराब के आदि हो गए । उनके घरों को दुख और परेशानियों ने आ घेरा था, दोनों के दोनों ऐसा बिस्तर पर पड़े की फिर उठ न सके 


हरिकिशन जी आख़री बार अपने भाइयों से मिलने गए थे , जब उन्हें खबर मिली तो लेकिन जब तक देर हो चुकी थी वो तड़प तड़प कर मर गए थे , उन्हें उस हालत में देख हरिकिशन जी को बरसो पहले का सब याद आ गया था और उन्होंने आसमान की तरफ देखा  लेकिन वो खुश होने के बजाये उदास थे  और आज भी वो मौन ही थे  और बिना कुछ कहे वहाँ से वापस आ जाते है ।



प्रतियोगिता हेतु लिखी कहानी  









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10 Comments

Khan

23-Oct-2022 09:59 PM

Bahut khoob 💐👍

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Palak chopra

19-Oct-2022 12:00 AM

Achha likha hai 💐

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Supriya Pathak

18-Oct-2022 10:13 PM

Achha likha hai 💐

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