Sunita gupta

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दैनिक प्रतियोगिता हेतु स्वैच्छिक विषय कर्म

कर्म 
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कर्म किए जा प्रभू के गीत गाए जा।
आज मुहल्ले मे सभी लोग  गली की सफाई का कार्य करने मे लगे हुए है मानो कर्म कम कर रहे है और
कितना शोर है भीतर और
बाहर सब कुछ कितना शांत। 
जो हम कह नहीं पाते उन शब्दों का कितना कोलाहल है। 
कोई सुने दिल की, ऐसी पात्रता
का होना भी ज़रूरी है। 
अन्यथा आपका कहा हर शब्द
सर के उपर से हो कर जायेगा। 

जो आपको सच्चे दिल से सुने
उसके सदा ऋणी रहना क्योंकि
उसने आपको अपना कीमती समय दिया है। 
आज के इस दौर में किसी के पास दूसरों को सुनने का समय होता नहीं है। 

मन भी वहाँ खाली करना, 
जिससे मन मिले और आपकी
भावनाओं का जो सम्मान करे। 
बरबस किसी पर अपनी परेशानी
मत थोपना। 
हँसी के पात्र बन जायेंगे,अपना मज़ाक बनवाना शायद ही किसी को अच्छा लगे।
सुनीता गुप्ता कानपुर 

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8 Comments

Palak chopra

18-Oct-2022 11:56 PM

Achha likha hai 💐

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Supriya Pathak

18-Oct-2022 10:10 PM

Achha likha hai 💐

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👌🏼 👌🏼 👌🏼 लाजवाब

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