लेखनी प्रतियोगिता -17-Oct-2022
इस जगत में जितने भी
लक्ष्य हैं उपहार हैं
किसी न किसी रूप
में सबका कर्म ही आधार है।
कर्म शारिरिक गतिविधियों
से मेल मन विषयों का है
कर्म तो स्वछंद है
फल उद्देश्यों का है।
कर्म ही कारण है सबके
अभ्युदय, विनाश का
कर्म ही तो मूल है
दुख का और उल्लास का।
ये कर्म दुविधा काटकर
लक्ष्य तक पहुंचाता है
कर्म धरती पर ही सबको
स्वर्ग नरक दिखाता है।
कोई प्राणी कर्म से कब
विरत हो सकता भला
लक्ष्य तक पहुंचा वही जो
कर्म के पथ पर चला।
कर्म ही अधिकार है
गीता में भगवन ने कहा
फल भी उसके अधीन है
जो कर्म में ही रत रहा।
एक अच्छा कर्म भी
लाखों बन्धन काट दे
कर्म वो छन्नी है जो
सुख और दुख को बांट दे।
कर्म का इंसान से
सम्बन्ध अद्भुत है यहां
कर्म सबके हाथ पर सब
कर्म के कारण यहाँ।
वो कर्म ही तो कर्म है
जो फल की आशा से अलग है
जो कर्म को सीढ़ी बना ले
जन्म उसका स्वर्ग है।
बस कर्म ही काफी नहीं
कोशिश करें सत्कर्म हो
जो साक्ष्य ईश्वर के रहे
जिसका लक्ष्य मानवधर्म हो।
दैनिक प्रतियोगिता हेतु।
।
Kavita Jha
18-Oct-2022 12:41 PM
अति सुन्दर काव्य सृजन 👌👌
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Mahendra Bhatt
18-Oct-2022 10:54 AM
शानदार
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
18-Oct-2022 06:51 AM
बहुत ही उम्दा सृजन और खूबसूरत संदेश
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